बीकानेरए 29 सितम्बर। पांच शताब्दी से अधिक प्राचीन बीकानेर का साम्प्रदायिक सौहार्द व भाई चारा अनूठा है। अनेक शायरों व कवियों ने अपनी कालजयी रचनाओं में बीकानेर की इस खासियत की तारीफ करते हुए समूचे हिन्दुस्तान को बीकानेर जैसा सदभाव वाला बनाने की दुआ व प्रार्थनाएं भी की।
रेतीले स्वर्णीम धोरों के बीच बसे बीकानेर में कहावत है कि जितना गहरा पानी उतना गहरे यहां के लोग है। लोगों की अंतरमन की मानवीयता के जड़ों गहराईए श्रेष्ठ धर्म पारायण एंव नेक दिल व इंसानियत की सच्ची भावना भूत एंव भविष्य व वर्तमान की आधारशीला है। इस आधारशीला को मजबूत व दृृढ़ रखने की जिम्मेवारी नगर के सभी धर्म एंव जाति एंव सम्प्रदाय के युवाओं की है।
वर्तमान में वाट्सएप्ए फेसबुक एंव ट्वीटर व इंस्टाग्राम के माध्यम से तथा कथित लोगों द्वारा हिन्दू एंव मुस्लिम एंव सिख व ईसाइयों के बारे में बेबुनियाद एंव झूठी मनगढ़त बातों को फैलाकर समूचे हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिक सौहार्द व आपसी भाईचारे को बिगाड़ने एंव साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने व विभिन्न जाति मजहब के लोगों में आपसी दूरी व वैमनस्य फैलाने का कुप्रयास कर रहे हें। इन कुप्रयासों को नाकाम करना हैए अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए साम्प्रदायिकता का जहर फैलानें वालों के हौसलों को गहरी समझ व सोच के साथ नेस्ताबूद करना है।
बीकानेर शहर में करीब सैकड़ों सनातन एंव वैष्णव एंव जैन मंदिर एंव करीब 6 दर्जन से अधिक मस्जिदें एंव चार गिरिजाघर एंव पांच बड़े गुरुद्वारे है। मंदिरों में नियमित पूजा अर्चना एंव मस्जिदों में पांचों वक्त की नमाज एंव गुरुद्वारों में गुरुग्रंथ साहब के पाठ व गुरुवाणी एंव गिरिजाघरों में प्रार्थना हो रही है। सभी धर्म स्थल आत्मा.परमात्मा को साक्षी रखकर वहां आने वाले हर इंसान के कल्याण के साथ इसानियत एवं भाईचारे व साम्प्रदायिक सौहार्द व आपसी एकता का संदेश देते हैं। नियमित धार्मिक स्थलों पर जाने व धार्मिक क्रिया में शामिल होने से उनमें अमानवीय व कू्रर विचारों पर नियंत्रण रहता है तथा वे अच्छी भावना से दान पुण्य एंव पूजा व इबादत करते है। जहां तक हो सर्के इंंसान तो क्या किसी भी प्राणी को दुःख व तकलीफ नहीं देना चाहते एंव जाने.अन्जाने एंव गफलत व गलतफहमी से किसी से बैर एवं वैमनस्य होने पर वे उसे अधिक दिन नहीं रखते एंव उसको दूर करने का प्रयास करते हैं।
शहर की बसावट की भूमिका
रियासत काल से ही शहर की ऐसी बनावट है कि हिन्दू.मुस्लिम एक दूसरे से माला के मनकों की तरह गूंथे हुए नजर आते है। शहर बनावट एवं कार्य व्यापार के कारण एक दूसरें मजहब के लोग सुख.दुःख में भी साथ रहते है। सगाई.शादी व अन्य उत्सवों में मुस्लिम महिलाएं हिन्दुओं के मांगलिक कार्यों के गीत गाती एंव उनके जैसा श्रृंगार कर सौहार्द को मजबूत करती है। ईस्लाम को मानने वाले भी शादी व अन्य पारिवारिक उत्सव में हिन्दुओं के लिए बिना प्याज एवं लहसून के शुद्ध व सात्विक खाना बनाकर आपसी भाईचारे का ईजाफा करते है। वहीं चूनगर एंव उस्ता आदि मुस्लिम समाज के कलाकार व कारीगर मंदिरों में सुनहरी कलम व आलागिला कारीगरी का कार्य कर आपसी भाईचारे और दूसरे धर्म के स्थलों को सम्मान देने की परम्परा का निर्वहन बखूबी कर रहे है।
बीकानेर में कई मुस्लिम भगवान गणेश एंव शिव व बाबा रामदेव सहित विभिन्न मंदिरों में जाकर और हिन्दू मजारों पर जाकर अपने तथा अपने परिवार की खुशहाली एंव उन्नत जीवन की कामना की प्रार्थना व दुआ करते हैं। कोई किसी मजहब वाला उन्हें कुछ भी ओछे व साम्प्रदायिक सौहार्द को कम करने वाले शब्द कहें उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता । वे तो अपनी मन व अंतर आत्मा के निर्देश की पालना करते हुए अपनी धुन से अपना नित्यकर्म करते हैं।
कहा गया है कि आत्मा सो परमात्मा से धार्मिक किया करने वाला इंसान एंव अल्लाह.ईश्वर को एक मानते हुए सभी मानवों में समानता रखते हुए उनके साथ सद्व्यवहार करता है। अपने कार्य.व्यवहार में शांति एंव शालीनता सदा सद्विचार व सद्चिंतन रखते हुए मानव मात्र को सम्मान देता हैए उनमें सद्भाव रखता है तथा उसके दुःख दर्द व पीड़ा में सहभागी बनकर उसको दूर करने का प्रयास करता है। परोपकार की भावना व दूसरें के दुख दूर करने की भावना ही अल्लाह की ईबादत एंव ईश्वर की पूजा एंव प्रभु यीशु की प्रार्थना और गुरुओं की वाणी है।