बीकानेर 23अक्टूबर 2021
प्रज्ञालय संस्थान व बीकानेर साहित्य संस्कृति-कला संगम के संयुक्त तत्वावधान में नगर के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की प्रतिनिधि राजस्थानी कविताओं की उर्दू भाषा में क़ासिम बीकानेरी एवं मागधी भाषा में डॉ. चंचला पाठक द्वारा अनुवाद की गई कृति “ज़बान मेरी हमर भाखा” का लोकार्पण समारोह कल महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी नागरी भंडार में हुआ |
प्रज्ञालय संस्थान के राजेश रंगा ने बताया कि इस लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी जोधपुर के प्रोफेसर (डॉ.) अज़ीज़ुल्लाह शिरानी ने कहा कि कमल रंगा की बेहतरीन राजस्थानी कविताओं का टकसाली रूप देवनागरी उर्दू में वरिष्ठ शाइर क़ासिम बीकानेरी और वरिष्ठ कवयित्री डॉ. चंचला पाठक ने मागधी में उम्दा एवं भावपूर्ण अनुवाद कार्य किया है जिससे भारतीय भाषाओं का समन्वय एवं शब्द की यात्रा को बेहतरीन ढंग से समझा जा सकता है | डॉ. शिरानी ने आगे कहा कि अनुवाद विधा महत्वपूर्ण है और इसी के माध्यम से भारतीय भाषाओं के पाठकों के बीच रचनाकार एवं अनुवादक की उपस्थिति होती है | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर के वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं कहानीकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि अनुवाद विधा संस्कृति का आदान-प्रदान है जो कहीं भी मौलिक सृजन से कमतर नहीं है | कमल रंगा की आधुनिक बोध एवं राजस्थानी की मठोठ लिए हुए महत्वपूर्ण कविताओं का उर्दू एवं मागधी में अनुवाद करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसे क़ासिम बीकानेरी एवं डॉ. चंचला पाठक ने बहुत ही ढंग से निर्वहन किया है |
लोकार्पित कृति पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि अनुवाद विषम संतुलन का कार्य है जिसका दोनों अनुवादकों ने अच्छे ढंग से निर्वहन किया है | कमल रंगा की आधुनिक संदर्भ एवं बोध की राजस्थानी कविताओं का मागधी, उर्दू में अनुवाद निश्चित तौर पर भाषाओं के संबंध में और राजस्थानी मान्यता को संबल देगा
लोकार्पित कृति की कविताओं के मूल रचनाकार वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि अनुवाद कर्म परकाया प्रवेश है जिसे दोनों अनुवादकों ने उम्दा ढंग से पूरा किया है जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं | इस अवसर पर रंगा ने अपनी चुनिंदा राजस्थानी कविताओं का वाचन भी किया।
उर्दू अनुवादक क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि कमल रंगा की राजस्थानी कविताओं का अनुवाद करते हुए एक अलग अनुभव से गुज़रना रहा साथ ही उर्दू राजस्थानी की शब्द यात्रा से भी साक्षात्कार हुआ | इस अवसर पर आपने उर्दू में अनुवाद की गई महत्वपूर्ण एवं चुनिंदा रचनाओं का वाचन किया |
मागधी अनुवादक वरिष्ठ कवयित्री डॉ. चंचला पाठक ने कहा कि कमल रंगा की कविताओं की गहराई एवं उनके प्रतीक बिंब महत्वपूर्ण हैं, मैंने मूल राजस्थानी से मागधी में अनुवाद करके सृजनात्मक सुख प्राप्त किया | राजस्थानी एवं मागधी निकट की भाषा है | साथ ही इस अवसर पर डॉ चंचला पाठक ने अनुवाद की गई मागधी रचनाओं का वाचन भी किया | इसी क्रम में समारोह में उल्लेखनीय है कि राजस्थानी कविताओं का मागधी और उर्दू अनुवाद का वाचन श्रोताओं में संप्रेषित हुआ और उन्होंने उसका ख़ूब सृजन आनन्द लिया |
प्रारंभ में स्वागत भाषण युवा कवि गिरिराज पारीक ने दिया |
लोकार्पण समारोह में प्रोफ़ेसर रजनी रमन झा, वरिष्ठ शायर ज़ाकिर अदीब, डॉ. ज़ियाउल हसन क़ादरी, बुनियाद हुसैन ज़हीन, वली मोहम्मद ग़ौरी’, सागर सिद्दीक़ी, जुगल पुरोहित, शिव दाधीच, इंजीनियर सय्यद कासम अली, मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफ़ी, माजिद ख़ान गोरी, डॉ. कृष्णा आचार्य, गिरिराज पारीक, डॉक्टर फ़ारुक़ चौहान सैयद मोहम्मद रफ़ीक़ सैयद मोहम्मद शरीफ़,साबिर गोल्डी, सैयद अख़्तर अली,शमीम अहमद शम्मी, नौशाद अली, मोहम्मद मोहसिन, साबिर मास्टर, अब्दुल ग़नी, हरिनारायण आचार्य,जोधराज व्यास, अनवर अली, हसन अली एंव बरकत अली सहित नअनेक गुणीजनों ने शिरकत की | लोकार्पण समारोह का संचालन संस्कृतिकर्मी डॉ. फ़ारुक़ चौहान किया जबकि आभार वरिष्ठ कवयित्री डॉ कृष्णा आचार्य ने ज्ञापित किया |