गांधी जयंति पर ‘अहिंसा और हम’ कार्यक्रम का
बीकानेर 2 अक्टुबर। ‘‘जिस प्रकार गांधीजी ने अपने हर विचार को स्वयं पर लागू करके बताया उसी प्रकार हमें भी गांधीजी की विचारधारा को अपने जीवन-व्यवहार में उतारना चाहिए ’’ ये उद्बोधन बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति, बीकानेर एवं जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर के सह-आयोजन में आज दिनांक 2 अक्टुबर, 2021 को संस्था परिसर में ‘अहिंसा और हम’ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुनील अरोड़ कुमार बोड़ा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) ने व्यक्त किए।
श्रीबोड़ा ने कहा कि गांधीजी ने शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र का विकास करना बताया है। इसलिए देश को मजबूती देने में हम सब एक ईकाई की तरह अपना-अपना उत्तरदायित्व निर्वाह करें। इसके साथ ही उन्होंने गांधीजी के स्वावलंबन, कुटीर उद्योग, अस्पृश्यता से जुड़ी विचारधाराओं को देश के विकास के लिए आज भी प्रासंगिक बताया।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में जन शिक्षण संस्थान के चेयरमैन एवं वरिष्ठ साक्षरताकर्मी श्री अविनाश भार्गव ने गांधीजी के संदर्भ में महात्मा, राष्ट्रपिता और बापू जैसे संबोधनों का इतिहास बताते हुए कहा कि गांधीदर्शन के प्रति आज की युवा पीढ़ी की समझ विकसित करने की बहुत आवश्यकता है। श्रीभार्गवने कहा कि जो शिक्षा मनुष्य को स्वावलंबी नहीं बनाती उस शिक्षा की कोई उपयोगिता नहीं है।
विशिष्ट अतिथि शिक्षक एवं पत्रकार श्री भवानी सोलंकी ने गांधीजी की विचारधारा से जुड़े विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से कहा कि हमें अपनी कथनी और करनी में भेद नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अपने नित्यप्रति कार्यों में उपलब्ध संसाधनों की संयम एवं अनुशासनपूर्ण पालना करनी चाहिए।
संस्थान के निदेशक ओम प्रकाश सुथार ने कहा कि जहां अहम की भावना है वहां हिंसा है और जहां हम की भावना है वहां अहिंसा है। गांधीजी द्वारा दांडी यात्रा के दौरान नमक बनाना, विदेशी वस्त्रों की होली जलाना और चरखे के माध्यम से खादी आंदोलन चलाना आदि सभी अभियान देश को आत्मनिर्भर बनाने के ही द्योतक हैं।
उल्लेखनीय है कि आयोजन के प्रथम सत्र में खादी मंदिर, चौतिना कुआ की विशिष्ट संदर्भ व्यक्ति श्रीमती जीया देवी मेघवाल ने गांधी दर्शन के तहत ‘चरखे पर सूत कातने’ का प्रदर्शन -डेमोस्ट्रेशन किया। इस प्रदर्शन के माध्यम से युवापीढ़ी को हाथ के हुनर से आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया।
आयोजन के प्रांरभ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्रीजी के छायाचित्रों के समक्ष माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया गया। तत्पश्चात् आगंतुक अतिथियों का सूत की माला पहनाकर स्वागत किया गया।
इस महत्ती आयोजन में लेखाकार लक्ष्मीनारायण चूरा, कार्यक्रम सहायक उमाशंकर आचार्य एवं संदर्भ व्यक्तियों सहित संस्थान परिवार के श्री विष्णुदत्त मारू एवं श्रीमोहन आचार्य की भी सक्रिय सहभागिता रही। संस्थान के कार्यक्रम सहायक तलत रियाज ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।