बीकानेर, 20 अक्टूबर। कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बुलाकीदास कल्ला ने कहा कि वैश्विक स्तर पर व्याप्त हिंसा, मतभेद, असमानता व तनावपूर्ण वातावरण में आज संपूर्ण विश्व में गांधी दर्शन व विचारों की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है।
डॉ. कल्ला बुधवार को जयपुर स्थित अपने राजकीय आवास पर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मुखपत्रिका ‘जागती जोत’ के ‘महात्मा गांधी विशेषांक’ का विमोचन कर रहे थे। डॉ. कल्ला ने कहा कि महात्मा गांधी ने भारतीय जनता में अनुशासन, निर्भयता, प्रेम, श्रम, सहिष्णुता, सेवा-भाव, नम्रता आदि उन मानवीय गुणों का संचार किया, जिनसे एक राष्ट्र महान बनता है और उस राष्ट्र के नागरिक श्रेष्ठ मनुष्य। गांधीजी ने कहा था कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। उन्होंने अपने जीवन में सदैव सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, संवेदनशीलता, शांति, सदाचार, सांप्रदायिक सद्भाव, सामाजिक समरसता, स्वदेशी, सर्वोदय, शोषण का प्रतिकार, दृढ़ आस्था, संयम, स्वावलम्बन, आत्मबल, मानव प्रेम, कथनी और करनी में साम्य आदि सद्गुणों को महत्त्व दिया।
डॉ. कल्ला ने कहा कि गांधीजी ने विशेषकर समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं के उत्थान के लिए अनुकरणीय कार्य किया। गांधीजी की प्रार्थना-सभाओं में सभी धर्मों के भजनों-गीतों का गान होता था, इसलिए वहाँ से प्रेम और भाईचारे की गंगा प्रवाहित होती थी। उनका कहना था कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है।
कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष के तहत राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं। गांधीजी के दर्शन, आदर्शों का अनुसरण कर युवा पीढ़ी देश की एकता-अखंडता-विकास में अपनी महती भूमिका निभा सकती है।
अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि जागती जोत के अक्टूबर माह के इस विशेषांक में देश के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकारों के गांधीजी के जीवन-दर्शन पर आधारित आलेख, कविता, गीत, हाइकू, अनुवाद तथा राजस्थानी समाचार आदि सम्मिलित किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि जागती जोत के प्रधान संपादक अकादमी अध्यक्ष एवं संभागीय आयुक्त भंवरलाल मेहरा, संपादक शिवराज छंगाणी व प्रबंध संपादक शरद केवलिया हैं।