वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार सोनी व फोटोजर्नलिस्ट अज़ीज़ भुट्टा
बीकानेर, 14 अक्टूबर। वरिष्ठ चिकित्सकों व घरेलू उपचार करने वाले वृद्धजनों द्वारा डेंगूं के बढ़ते प्रभाव से बीमार हुए लोगों के लिए बकरी का दूध ईलाज के लिए कारगर बताने के कारण लोग हर परिस्थिति में अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए बकरी का दूध मुहैय्या करवा रहे है। बकरी का दूध हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहार्द का भी दूत बन गया।
शहर में डेंगू बुखार ने बड़ी आबादी को घेर लिया है। पी.बी.एम. अस्पताल, जिला अस्पताल के साथ सरकारी व निजी अस्पतालों में बच्चों से लेकर बुढ्ढें तक रोगी ईलाज डेंगू बुखार से पीड़ित है। अस्पतालों के वार्ड रोगियों से भरें हुए है। लोग रोगियों व उनके परिजनों को रिश्तेदार, मेल मुलाकात वाले लोग तथा आस पड़ौसी एलोपैथिक, आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक, यूनानी के साथ घरेलू उपचार के तरीके बताकर जल्दी स्वस्थ होने की कामना कर रहे है। इनमें पपीते के पत्ते का रस व बकरी का दूध, नारियल पानी, कीवी का उपयोग करने , इसके अलावा पैरों में घूटने तक नारियल का तेल लगाने सहित अनेक तरह की सलाह दी जाती है।
लोगों को सर्वाधिक कठिनाई पपीते का पत्ता व बकरी का दूध संकलन के लिए लोगों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। लोग बीमार की तीमिरदारी के लिए पपीते के पत्ते व बकरी के दूध के लिए बीछवाल कृषि विज्ञान केन्द्र, जयपुर रोड, श्रीगंगानगर रोड, जोधपुर रोड की नर्सरियों में व फार्म हाउस तथा व्यक्तिगत घरों में पपीते के पेड़ के पत्ते ला रहे है। कड़वा पपीते के पत्ते को बीमार एक घूंट में ही पी पाता है। पी.बी.एम.अस्पताल की शिशु रोग विभाग की आचार्य डाॅ.सारिका स्वामी व श्याम अग्रवाल, डाॅ.अबरार का सुझाव है कि पपीते के पत्तों की विभिन्न दवाइयां मेडिकल की दुकानों में भी मिलती है। उसे रोगी स्वाद के साथ ग्रहण कर स्वास्थ लाभ ले सकता है।
इम्यूनिटी बढ़ाता है बकरी का दूध ।
चिकित्सकों व बड़े बुजुर्गों का कहना है कि बकरी का दूध इम्यूनिटी बढ़ता है तथा डेंगू के रोगी की प्लेट रेट को बढ़ाता है। इस धारणा को लेकर जिस घर-परिवार में डेंगू बुखार से लोग बीमार है, उनके इलाज के लिए बकरी का दूध सुलभ करवाने के लिए मिलने वाले मुस्लिम परिवारों से बकरी का दूध ले रहे है । वर्तमान में पहले जितना बकरी पालन मुस्लिम मोहल्लों में नहीं हो रहा है लेकिन कई परिवार हवेलियों में भी बकरी का पालन परम्परानुसार कर रहे है। इन परिवारों के पास जाति, सम्प्रदाय व ऊंच नीच का भेद किए बिना लोग दूध मांगने पहुंच रहे है। चूनगरों का मोहल्ला, भिष्तियों का मोहल्ला व मोहल्ला व्यापारियान सहित विभिन्न मुस्लिम मोहल्लों में बिना शुल्क रोगी के इलाज के लिए दूध सुलभ करवा रहे है। कुछ लोग दूध के बदले मुस्लिम भाई-बहनों को रुपए का ऑफर भी करते हैं परंतु किसी के इलाज के लिए काम आ रहे दूध का शुल्क किसी तरह से स्वीकार नहीं कर रहे हैं बीकानेर शहर में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं कि एक दूसरे से काम पड़ता है तो रक्तदान भी करते हैं।परंतु कई दूध विक्रेताओं ने लघु महामारी के रूप में फैले डेंगू बुखार के दौरान मुनाफा कमा रहे है। बकरी के दूध को 150 से 200 रुपए किलो तक बेच रहे है।
जिला प्रशासन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम अपने स्तर पर लोगों में जागृति के लिए प्रयास कर रहा है वहीं राजकीय पलाना उच्च माध्यमिक विद्यालय के कला शिक्षक भूरमल सोनी, मैढ़ क्षत्रीय स्वर्णकार समाज के राजेश सोनी ने अपने स्तर पर डेंगूं के कारण व बचाव के अपने स्तर पर बैनर बनवाएं है तथा सरकारी व निजी अस्पतालों व स्कूलों में लगवाएं है। सामाजिक कार्यकर्ता भूरमल सोनी विभिन्न स्कूलों में भी डेंगू से बचाव की जानकारी दे रही है।