मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद दांडी यात्रा स्थगित ।

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2 October उदयपुर से सयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में दांडी गुजरात तक 485 km की यात्रा शुरू की गई थी। कल यात्रा को गुजरात को गुजरात पहुंचने पर रोक दिया गया। दांडी यात्रा के नेतृत्व कर्ता वरिष्ठ अध्यापक पूर्व विधायक पुत्र ठाकुर शमशेर खान भालू ने वही पर विरोध स्वरूप अनशन शुरू कर दिया।

राजस्थान उर्दू बचाओ संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष शमशुद्दीन सुलेमानी ने बताया कि शाम तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दांडी यात्रियों से वार्ता के लिए जयपुर बुलाया है। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद एक बार के लिए दांडी यात्रा स्थगित की गई है। मुख्यमंत्री ने 3 दिन का समय दिया वार्ता के लिए,तब तक सभी दांडी यात्री जयपुर में धरने पर रहेंगे। जब तक सभी संविदाकर्मियों के नियमतिकरण और विभिन्न उर्दू की मांगों पर सहमति नही बन जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सरकार ने सभी संविदाकर्मियों को नियमित करने की बात की थी। जिसको लेकर 1 जनवरी2019 को ऊर्जा विभाग मंत्री डॉ.बी.डी. कल्ला की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया गया था। लेकिन आज सरकार इस पर एक बार भी सकारात्मक कार्यवाही नही कर सकी।

दिसंबर 2020 में भी राजस्थान उर्दू बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक शमशेर गाँधी द्वारा चूरू से दांडी तक कि पैदल यात्रा की गई थी जिसे सरकार ने उदयपुर में रोक लिया था और 30 सितंबर2021 तक संविदाकर्मियों के नियमतिकरण सहित 10 मांगो पर सहमति बनी थी ।लेकिन सरकार ने अभी तक उर्दू संबंधित 9 मांगो पर कार्यवाही शुरू नही की तथा आज भी उर्दू भाषा के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपना रही है।
प्रदेश की 40 उर्दू माध्यम स्कूलों को बंद कर दिया गया या फिर इनमें उर्दू माध्यम से पढ़ाने वाले अध्यापकों के पद रिक्त कर दिए गये और कुछ स्कूलों को हिन्दी माध्यम में बदल दिया गया।

राजस्थान में उर्दू की किताबे उर्दू विद्यार्थियों के अनुपात के हिसाब से वितरित नही हो रही है।जिसकी माँग निदेशक सहित शिक्षा मंत्री,मुख्यमंत्री से कई बार की जा चुकी है।

वर्तमान में तृतीय भाषा की मैपिंग का कार्य चल रहा है जिसमे कई संस्था प्रधानों द्वारा उर्दू स्टूडेंट्स को जबरन संस्कृत पढ़ने को मजबूर किया जा रहा है। जबकि विद्यार्थियो और अभिवावकों द्वारा उर्दू विषय लेने का लिखित सहमति पत्र दिया जा रहा है।

तृतीय भाषा मैपिंग में हो रही धांधली पर निदेशक द्वारा जाँच करवा कर दोषी अधिकारियों पर सख्त विभागीय कार्यवाही करनी चाहिए।

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