-“लेखक से मिलिए” में मिलिए में बोले मधु आचार्य “आशावादी”
श्रीगंगानगर। वरिष्ठ साहित्यकार एवं साहित्य अकादेमी राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा है कि साहित्यकार अपने जीवन में हजारों बार मरता है और नया जन्म लेता है। क्योंकि जब-जब वह अपनी रचना में किसी किरदार को जन्म देता है, तब-तब उसे खुद को मारना पड़ता है।
वे रविवार को सृजन सेवा संस्थान की ओर से महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर सैकेंडरी स्कूल के सभागार में आयोजित ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लेखक ऋषि परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। उसका जीवन भी सबके भले के लिए, सबका हित चाहते हुए बीतता है। लेकिन कभी किसी का बुरा नहीं सोच सकता। आशावादी ने कहा कि लेखक मूलत: अहिंसक होता है। वह किसी से मारपीट तो दूर किसी का नुकसान नहीं करता। वह तो अपनी कलम से ही समाज को बदलने की सोचता है। उन्होंने कहा कि सत्ता, राजनीति, अफसरशाही की विसंगतियों के साथ अन्य सामाजिक बुराइयों को कोई खत्म कर सकता है, अथवा कोई इनके खिलाफ मोचा खोलकर लोगों की चेतना जागृत कर सकता है तो निश्चय ही एक मात्र लेखन ही यह संभव है।
आशावादी ने स्पष्ट किया कि कालजयी रचना की बात करना बेमानी होगी। सच तो यह है कि जो लेखक अपने समय के सच को अपने लेखन में रचता है, वही सही मायने में लेखन है और उसी से उसके लिखने की सार्थकता है।
इस मौके पर आशावादी ने अपनी हिंदी एवं राजस्थानी की अनेक रचनाएं भी सुनाई। उनकी राजस्थानी एवं हिंदी कहानी, कोरोनाकाल पर आपदा में अवसर ढूंढने वाले लोगों पर व्यंग्य, राजस्थानी कविताएं एवं हिंदी लघुकथाएं श्रोताओं ने खूब सराही।
कार्यक्रम में बीएस चौहान, ऋतुसिंह, बबीता काजल, मीनाक्षी आहुजा, विजय गोयल एवं अन्य श्रोताओं ने साहित्य एवं समाज से जुड़े गंभीर सवाल किए। आशावादी ने उनका बहुत सहजता से जवाब देते हुए जिज्ञासाओं का समाधान किया।
इससे पहले बीकानेर से आए साहित्यकार हरीश बी शर्मा ने मधु आचार्य का परिचय दिया। विशिष्ट अतिथि हनुमानगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण थरेजा ने मधु आचार्य आशावादी को कलम का सच्चा सिपाही बताते हुए कहा कि उन्होंने राजस्थानी साहित्य को विशिष्ट पहचान दी है। श्री खुशालदास विश्वविद्यालय के चेयरमैन बाबूलाल जुनेजा ने आशावादी के सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि वे अपने अदम्य साहस एवं अच्छे नजरिए के बल पर बड़ी-बड़ी बाधाओं को पार करने की क्षमता रखते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नोजगे पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. पीएस सूदन ने कहा कि साहित्यकार समाज के सच को उजागर करता है। वही है जो आज के इस भ्रष्ट तंत्र में उम्मीद की कोई लौ जलाए हुए है।
कार्यक्रम में मधु आचार्य आशावादी को शॉल ओढ़ाकर, सम्मान पत्र एवं साहित्य भेंट करके सम्मानित किया गया। कुछ अन्य साहित्यकारों तथा अतिथियों को भी पुस्तकें भेंट करके सम्मानित किया गया। मधु आचार्य को महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर की ओर से प्रधानाध्यापिका अनामिका दाधीच ने भी सम्मानित किया। सृजन के सचिव कृष्णकुमार आशु ने आभार व्यक्त किया। मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ. संदेश त्यागी ने किया।
इस मौके पर बीकानेर से नगेंद्र किराड़ू, हनुमानगढ़ से दीनदयाल शर्मा व दुष्यंत जोशी, रायसिंहनगर से मंगत बादल व किरण बादल, डॉ. पीसी आचार्य, डॉ. आशाराम भार्गव, राकेश मितवा, राजेंद्र सारस्वत, शमिन्द्रकौर, मूर्ति गर्ग, संदीप शर्मा, सुषमा गुप्ता, राजू गुप्ता, योगराज भाटिया, मयूर पारीक, खजानचंद मक्कड़, सचिन कुक्कड़, निष्ठा गुप्ता एवं हिना छाबड़ा भी मौजूद थे।