कवि बनाम कविता कार्यक्रम में कविता-शायरी के रंग बिखेरे।

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बीकानेर 16 नवंबर।
प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ के मासिक कार्यक्रम श्रंखला के तहत साहित्यिक नवाचार के चलते इस माह “कवि बनाम कविता” का आयोजन कल नालंदा स्कूल के सृजन सदन में हुआ | इस बार की कड़ी में हिंदी, राजस्थानी और उर्दू के कवि शायरों ने दीप, दीवळौ और चिराग़ पर केंद्रित अपनी नव रचनाओं का वाचन राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कमल रंगा की अध्यक्षता में किया | इस आयोजन का आग़ाज़ कवि गिरिराज पारीक ने अपनी रचना ‘आओ दीप जलाए…..’ से किया तो वहीं वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी द्वारा राजस्थानी से हिंदी में अनुवाद की हुई बेहतरीन रचना ‘मन का दिया रोशन करें’ का शानदार वाचन हुआ |
इसी क्रम में वरिष्ठ शायर ज़ाकिर अदीब ने ‘बदौलत उसकी आज भी है/ज़िंदगी में रोशनी….’ अपनी ताज़ा ग़ज़ल के शे’र सुना कर चिराग़ के महत्व को उकेरा | वरिष्ठ शायर वली मोहम्मद वली ग़ौरी ने ‘क्यों जलाते हो बेरुखी के चिराग़……’अपनी ताज़ा ग़ज़ल की सस्वर प्रस्तुति देकर इंसानियत की पैरोकारी की | इसी क्रम में वरिष्ठ कवि संजय आचार्य वरुण ने ‘मैं हूं दीपक अंधेरों से कहां डरता हूं…..’ के माध्यम से जीवन दर्शन को रेखांकित किया | राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने दीवळैे को केंद्र में रख कर ‘आओ सुनाऊं’कहाणी म्हारी……’ का वाचन कर दीपक के कई नव संदर्भ खोलें | कवि शायर हनुमंत गौड़ ने ‘वह जो अंधेरों के साये में पले हैं…..’पेश कर अंधेरों से संघर्ष की बात कही तो कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपनी राजस्थानी रचना ‘एक दियौ जलाणौ है……’ के माध्यम से आज के हालात बयान किए | कवि शायर कैलाश टाक ने अपनी रचना ‘उम्र भर जली बाती/दीपक का नाम हो गया।’ के माध्यम से सही एवं वाजिब हक़ के संदर्भ में अपनी बात कही ।


कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी का स्वागत राजेश खन्ना ने किया | कार्यक्रम में अशोक शर्मा,हरिनारायण आचार्य, भवानी सिंह आशीष कार्तिक सहित अनेक सुधि श्रोताओं ने काव्य रस का आनंद लिया | संचालन संजय आचार्य ने किया | सभी का आभार और कार्यक्रम पर अपनी बात रखते हुए डॉ. फ़ारुक़ चौहान ने कहा कि कवि बनाम कविता कार्यक्रम की अगली कड़ी ‘जल, पाणी एंव आब विषय पर हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा में केंद्रित होगी जो कि माह दिसंबर में होगी ।