बीकानेर, 18 नवम्बर। चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में सकलश्री जैन संघ की ओर से शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे भुजिया बाजार के चिंतामणि जैन मंदिर से भगवान महावीर स्वामी की सवारी निकलेगी। सवारी विभिन्न जैन बहुल्य मोहल्लों से होते हुए गोगागेट के पास स्थित गौड़ी पाश्र्वनाथ जैन मंदिर परिसर पहुंचेगी। गौड़ी पाश्र्वनाथ में शनिवार को बड़ी पूजा होगी। भगवान की सवारी रविवार को पुनः साढ़े नौ बजे गौड़ी पाश्र्वनाथ से प्रस्थान कर चिंतामणि जैन मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।
चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारिवाल ने बताया कि बीकानेर व कोलकाता में भगवान महावीर स्वामी की सवारी एक रूपता के साथ कार्तिक पूर्णिमा को भव्य रूप में करीब एक शताब्दी से निकल रही है। एक साल चिंतामणि जैन मंदिर से तथा दूसरे साल बैदों के चैक के भगवान महावीर स्वामी से निकलती है। जैन साधु साध्वियों के चातुर्मास पूर्ण होने पर स्थान परिवर्तन की दृृष्टि से सवारी निकालने की परम्परा 100 से अधिक वर्षों से चल रही है। सवारी में भगवान आदिश्वर मंडल व वीर मंडल लगातार 71 वें वर्ष शामिल होगी। इसके अलावा कोचर मंडल, जैन मंडल व पाश्र्व मंडल की भजन टोलियां फिल्मी व राजस्थानी गीतों व पारम्परिक तर्जों पर आधारित भजन पेश करेंगी। एक माह से कलाकार भजनों की प्रस्तुति का अभ्यास कर रहीं है।
यह रहेगा सवारी का मार्ग-चिंतामणि जैन मंदिर से भगवान महावीर स्वामी की सवारी रवाना होकर नाहटा, गोलछा, खजांची, रामपुरिया, राखेचा मोहल्ला, आसानियों का चोक, बांठियों का चोक, सिपानी, बैदों, सुराणा का चोक, बड़ा बाजार, सुपारी बाजार, बच्छावतों का मोहल्ला, डागों का मोहल्ला होते हुए गोगागेट के बाहर गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर पहुंचेगी । एक दिन सवारी का ठहराव रहेगा। शनिवार को सुबह भगवान की बड़ी पूजा होगी। सवारी रविवार 21 नवम्बर को गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर से सुबह साढ़ नौ बजे पुनः रवाना होकर गंगाशहर मार्ग, लाभू जी कटला, कोटगेट, नया कुआं, मरोठी सेठिया, मुकीम बोथरा मोहल्ला, रांगड़ी चोक, सुगनजी महाराज के उपासरा, डागा, सेठिया पारख चोक, कोचरों का चोक बेगानी चोक, धड्ढों का चोक, दस्साणी चोक, बोथरा मोहल्ला होते हुए चिंतामणि जैन मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।
सवारी में ये होंगे शामिल-भगवान महावीर स्वामी की सवारी में इंद्र ध्वज, पंचरंगी जैन ध्वज, चांदी का सिहासन (खासोजी), चांदी का कल्पवृृक्ष, भगवान का रथ, चारों दादा गुरुदेव के तेल चित्र, भगवान महावीर स्वामी के जीवन आदर्शों से संबंधित तेल चित्र, बैंड पार्टी, भजन मंडलियां, सजे संवरे घोड़े, ऊंट, ऊंट गाड़े, जैन श्रावक । सवारी के स्वागत के लिए विभिन्न जैन मोहल्लों में व्यक्तिगत व संगठन स्तर पर जगह-जगह बैनर लगाएं गए है। सवारी में शामिल श्रावकों का जगह-जगह चाय व अल्पहार आदि से स्वागत किया जाएगा।
जैन धर्म में विशेष महत्व है कार्तिक पूर्णिमा का- चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारिवाल, मंत्री चन्द्र सिंह पारख व जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ युवा संघ के पूर्व मंत्री मनीष नाहटा ने बताया कि जैन धर्म में विशेष महत्व है। इस चातुर्मास दिन आषाढ़ चतुर्दशी(चातुर्मासिक चतुर्दशी) से प्रारंभ हुआ साधु साध्वियों का चातुर्मास संपन्न होता है। कार्तिक पूर्णिमा तीन कारणों से जैन शासन में महत्वपूर्ण है। पहला कार्तिक पूनम के दिन चातुर्मास पश्चात पालीतणा के जैन धर्म के महान तीर्थ स्थल श्री शत्रुंज्य तीर्थ में शाश्वत गिरिराज की यात्रा पुनः प्रारंभ होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन द्राविड़ एवं वारिखिल्लजी 10 करोड़ मुनियों के साथ इस गिरिराज में मोक्ष प्राप्त किया था।
मंत्री चन्द्र सिंह पारख ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को जैन साधु-साध्वी वृृंद चातुर्मास संपन्न होने से अपनी विहार यात्रा पुनःशुरू करते है । इसी दिन बारहवीं शताब्दी के एक महान संत विद्ववान श्रीमद विजय हेमचंद्राचार्यजी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी व शत्रुंज्य तीर्थ की भक्ति-भाव यात्रा के रूप में भी यह भगवान की सवारी निकाली जाती है।
शिव कुमार सोनी
वरिष्ठ सांस्कृृतिक पत्रकार