बीकानेर,24 नवंबर। बीकानेर के प्रचीन मंदिरो की बात जब आती है तो हर्षोलाव के पास स्थित महानन्द जी की तलाई पर बना रामेश्वर महादेव का नाम प्रचीन मंदिरो आता है । इस मंदिर में पीपल ओर शिव का दोनों का जो महासंगम है जिसके कारण भक्तो की आस्था का अटूट विश्वास है और मनोकामनाओ पूर्ण करने वाला माना जाता है। यहाँ पर अखण्ड ज्योत के दर्शन मात्र से कष्टों को हरने वाला माना जाता है।
बीकानेर गोल्डन आर्ट को विकसित करते हुए नया कार्य कर रहे हैं आमजन तक इस कला को पहुंचाने का यह प्रयास बीकानेर शैली की प्रभाविता को दर्शाता है। भीति चित्रण परम्परा में मथेरण कला व उस्ता कला का बेजोड़ नायब नमूना है इसी क्रम को आगे की यात्रा करते हुए बीकानेर की चित्रकला पर्याप्त समर्थन में स्फूर्ति दायक रही है । सुनहरी कलम का काम करने वाले चित्रकार राम कुमार भादानी बताते हैं कि बीकानेर गोल्डन आर्ट में नया स्वरूप किया है यह अपनी कला की बारीकियों को भी संजोए रखे हुवे हैं उस्ता कला और मथेरण कला के मिश्रित प्रभाव से इन्होंने नई कला की ओर रुख किया है जिसे बीकानेर की सुनहरी कलम के नाम से जाना जाता है उनका मानना है कि यह बीकानेर की प्रमुख शेली होगी जो की इस शैली का उद्गम स्थल बीकानेर की सुनहरी कलम की बारीकियों से किया जा रहा है इसमें मुगल शैली के फूल पत्तियों न होकर अजंता में किये गए फ्रेस्को में आलेखन चित्र से अभिप्रेरित हो कर कमल के फूल को इस कला में सयोजन किया गया है जो पूर्ण रूप से भारतीयता का परिचायक है । देसी कमल ,कनेर,गेंदे जैसे फूल अंगूर की पत्तियां जैसे कंपोजिसन तैयार कर उसमें सुनहरी कलम का कार्य किया गया है इस शैली का प्रारंभिक रूप है इसमे रंगों के संयोजन में मुख्यतः 5 रंगों का उपयोग किया जाता है जिसमें लाल, नीला, हरा , सफेद,तथा काले रंग का रँगाकन पूर्ण रूप से प्रयोग में किए जाते है काले रंग से गिलहरी के बाल से युक्त ब्रश से बारीक लाइनों से लचीलेपनता से बनी गऐ सयोजन को तैयार किया जाता है फिर उसमें रंगत की सतह पर रंगों को भर कर पूर्ण किया जाता है
रामेश्वर नाथ मित्र मंडल व जन सहयोग से यह सुनहरी कलात्मक का कार्य हो रहा है ।यह मित्र मंडल सभी भक्तों के सहयोग करने पर आभार व्यक्त करता है । मंदिर परिसर में समय समय पर पंडित नथमल जी पुरोहित द्वारा धार्मिक अनुष्ठान व सामूहिक यग्योपवित बटुकों के लिए निशुल्क करवाया जाता है।
रामकुमार भादाणी अभी तक बीकानेर के लखमीनाथ मंदिर ,गढ़ गणेश ,नरसिंग मंदिर , जनेश्वर महादेव मन्दिर, रघुनाथ मंदिर तेलीवाड़ा ,आशापुरा माता मंदिर जैसलमेर ,लटियाल माता मंदिर,जैन रेल दादा बाड़ी नोखा रॉड,आदि हिंदू व जैन मंदिरों में सुनहरी कलम का कार्य कर चुके हैं और वह कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कला महोत्सव में भी भागीदारी ले चुके हैं इन्होंने रेलवे स्टेशन, पुल, स्वछ भारत स्वछ शौचालय के तहत ग्रामीण छेत्र में शौचालय पर सुनहरी कलम से तथा पुरानी इमारतों जैसी कई धरोहरों को संरक्षित करने के लिए कलात्मक कार्य किए हैं।