जैनोलॉजी जीवन की समस्याओं के समाधान का पाठ्यक्रम

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बीकानेर 21 दिसंबर। संभाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय के नवसृजित जैनोलॉजी विभाग के द्वारा विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की जानकारी देने हेतु अभिमुखीकरण कार्यक्रम दिनांक 21.12.21 को आयोजित किया गया। जैनोलॉजी विषय का चयन करने वाले 100 से भी अधिक विद्यार्थियों के लिए आयोजित इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती प्रेम नौलखा ने विषय के सफलतापूर्वक प्रारंभ होने का श्रेय दोनों संस्थाओं के आपसी सहयोग को दिया। विशिष्ट अतिथि श्रीमती शांता भूरा ने संबोधित करते हुए कहा कि पारिवारिक जीवन के तनाव को कम करने में जैनोलॉजी की अहम भूमिका रहेगी।

विषय विशेषज्ञ डॉ नंदिता सिंघवी विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग ने प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी की जैन परंपरा पर प्रकाश डाला। डॉ राजनारायण व्यास सहआचार्य दर्शनशास्त्र ने अपने संबोधन में बताया कि जैनोलॉजी विषय का संबंध यथार्थ जीवन से है और यह विद्यार्थियों के ऊपर बहु आयामी प्रभाव डालेगा। जैनोलॉजी के प्रायोगिक पक्ष प्रेक्षाध्यान एवं योग के बारे में बोलते हुए दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ सुमित्रा चारण ने ध्यान और यौगिक क्रियाओं के अर्थ को समझाते हुए उनके महत्व पर प्रकाश डाला। जैन दर्शन के विद्वान श्री पीयूष नाहटा ने अपने संबोधन में कहा कि जैनोलॉजी जीवन की समस्याओं के समाधान का पाठ्यक्रम है। उपप्राचार्य डॉ इंदरसिंह राजपुरोहित ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जैनोलॉजी पाठ्यक्रम में आर्थिक सहयोग प्रदान करने के लिए तेरापंथ महिला मंडल बीकानेर का आभार ज्ञापित किया। प्राचार्य डॉ जीपी सिंह ने पाठ्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं। जैनोलॉजी विभाग प्रभारी डॉ बबीता जैन ने अतिथियों और विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
प्राचार्य

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