कला-संस्कृति मंत्री ने ‘राजस्थान का स्वतंत्रता संग्राम और विजय सिंह पथिक’ पुस्तक का किया विमोचन
बीकानेर, 8 दिसम्बर। कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बुधवार को ‘राजस्थान का स्वतंत्रता संग्राम और विजय सिंह पथिक’ पुस्तक का विमोचन किया।
आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रृंखला में राजस्थान राज्य अभिलेखागार परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डॉ. कल्ला ने कहा कि देश को आजादी दिलाने में विजय सिंह पथिक की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण रही। उनके समग्र व्यक्तित्व-कृतित्व पर मूल दस्तावेजों पर आधारित यह पुस्तक भावी पीढ़ी के लिए फायदेमंद साबित होगी। उन्होंने अभिलेखागार द्वारा देश के महान् स्वतंत्रता सेनानियों की संघर्ष गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के कार्यों की सराहना की।
कला-संस्कृति मंत्री ने राजस्थानी भाषा को विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक बताया तथा कहा कि इसमें प्रचुर साहित्य विद्यमान है। दुनिया भर में दस करोड़ से अधिक लोग राजस्थानी भाषा बोलते और समझते हैं। राजस्थान की विधानसभा द्वारा इसे संविधान की आठवीं अनुसूचित में शामिल करवाने का प्रस्ताव वर्षों पूर्व पारित करवाया जा चुका है। केन्द्र सरकार द्वारा शीघ्र ही इसे संवैधानिक मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने राजस्थानी फिल्मों के प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
पुस्तक के सम्पादक तथा राजस्थान राज्य अभिलेखागार निदेशक डॉ. महेन्द्र खड़गावत ने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 1982 में ‘ओरल हिस्ट्री’ परियोजना के तहत उस दौर के जीवित स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिद्ध करने का कार्य दिया, जिसका प्रभावी क्रियान्वयन किया गया। उन्होंने कहा कि राजस्थान और आसपास के राज्यों द्वारा विजय सिंह पथिक के मूल अभिलेखों पर आधारित पुस्तक की आवश्यकता महसूस की गई थी। इसके मद्देनजर अभिलेखागार द्वारा यह पुस्तक प्रकाशित की गई है। उन्होंने कहा कि पथिक नहीं होते तो राजस्थान में प्रजा मंडल (किसान आंदोलन) संभव नहीं था। उनके द्वारा रियासत और अंग्रेजों से किए गए संघर्ष की कहानी को पुस्तक में संकलित किया गया है।
डॉ. कल्ला ने किया म्यूजियम का अवलोकन
इस अवसर पर डॉ. कल्ला ने अभिलेखागार और म्यूजियम का अवलोकन किया। डिजिटल अभिलेखागार, अभिलेख संग्रहालय तथा अभिलेख प्रबंधन की सराहना की। बही और पट्टा रजिस्टर का अवलोकन किया तथा पट्टा जारी करने की प्रक्रिया जानी। डिजिटाइजेशन कार्य को भविष्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया। अभिलेखागार की दीर्घाओं में शिवाजी महाराज दीर्घा, महाराणा प्रताप दीर्घा, टेस्सीतोरी दीर्घा आदि का अवलोकन किया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया। इस दौरान नगर विकास न्यास सचिव नरेन्द्र सिंह पुरोहित, अतिरिक्त निदेशक (माशि) रचना भाटिया, (प्राशि) अशोक सांगवा, शिक्षा निदेशालय के संयुक्त निदेशक तेजा सिंह, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता सुधीर माथुर, एमएस कॉलेज प्राचार्य डॉ. शिशिर शर्मा, साहित्यकार बुलाकी शर्मा, राजाराम स्वर्णकार, दीपचंद सांखला, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के उप कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा, राहुल जादूसंगत, सुमित कोचर, डॉ. मिर्जा हैदर बेग आदि मौजूद रहे।