बीकानेर, 25 दिसंबर। साहित्य मनीषी प्रो. चन्द्रदेव शर्मा जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दो दिवसीय साहित्य समारोह और कविता चित्र प्रदर्शनी का जुबली नागरी भंडार में शनिवार को शुभारंभ हुआ।
चित्रकार सन्नू हर्ष द्वारा चन्द्रदेव शर्मा की कविताओं पर बनाए गये चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन वरिष्ठ रंगकर्मी दयानंद शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर चन्द्रदेव शर्मा के सृजन संसार पर आलोचनात्मक विमर्श की अध्यक्षता करते हुए अलवर के वरिष्ठ आलोचक डॉ. जीवन सिंह ने कहा कि जनता से जुड़ाव के लिए वाचिक परम्परा से जुड़ना आवश्यक है। नई कविता का पाठक मध्यम वर्ग है। जनता के नजदीक जाने वाली कविता नहीं है। संवेदनशील कवि रूढ़ियों के खिलाफ पहले संहार फिर सृजन की बात करता है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया ने अपने गुरु चन्द्रदेव शर्मा से जुड़े संस्मरणों और तात्कालिक समय में उनके रचना संसार की विशेषताओं से रूबरू करवाया।
वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने उनके कृतित्व पर पत्रवाचन करते हुए उन्हें आधुनिक साहित्यकारों का मार्गदर्शक कवि बताया।
आलोचक डॉ नीरज दैया ने प्रो. चन्द्रदेव शर्मा की साहित्यिक यात्रा को सामाजिक विद्रुपताओं के विरुद्ध प्रभावशाली हथियार बताया।
इस अवसर पर जयपुर से नंद भारद्वाज, कोटा से हंसराज चौधरी, नगेन्द्र कुमावत तथा भरतपुर से राघवेन्द्र रावत के साथ मालचंद तिवाड़ी, गणपत सुथार, लीलाधर स्वामी, जितेन्द्र यादव, नथमल सोनी, वाई के शर्मा योगी, मुकेश व्यास, वेदप्रकाश शर्मा, श्रीमती विद्युतलता शर्मा, उमा शर्मा, इंदिरा व्यास, हरिकिशन व्यास, जाकिर अदीब, शरद केवलिया, विजेन्द्र, रेखा, चन्द्रकला, किसनदान और चन्द्रदेव शर्मा के परिजन बड़ी संख्या में कार्यक्रम के साक्षी रहे।
कार्यक्रम का संचालन अविनाश व्यास ने किया तथा तथ्यात्मक जानकारी देते हुए चन्द्रदेव शर्मा के सुपुत्र नरेन्द्र शर्मा ने उपस्थित आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।