बीकानेर-30जनवरी।
पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब की साप्ताहिक काव्य गोष्ठी की 513 वीं कड़ी में रविवार को हिंदी और उर्दू के रचनाकारों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किया।
ऑनलाइन कार्यक्रम में डॉ नरसिंह बिनानी ने हाइकु सुना कर राष्ट्रपिता को याद किया-
मोहनदास
प्रसिद्ध नाम बापू
तीन बन्दर
कवयित्री मधुरिमा सिंह ने भी गांधीजी को नमन किया-
भारत माता की दशा दिशा देख
हो गए व्याकुल ऐसे महात्मा गांधी
कवियत्री सरिता सिंह ने “मैं हिंदुस्तान हूँ” रचना सुनाई-
तरह तरह के रंग रूप वाले
पक्षियों का गान हूँ मैं
मैं ही हिंदी की मिठास और
मैं ही उर्दू की ज़ुबान हूँ
डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने ग़ज़ल पेश की-
लाख मुझको ज़माना ठुकरा दे
तेरी नज़रों से कब गिरा हूँ मैं
डॉ ओमप्रकाश स्वामी ने “अब कहाँ है फुर्सत खुद से बात करने की”,कमल किशोर पारीक ने “रात के साये में रौशन हुआ सवेरा”,मेवा सिंह ने “सुनलो नन्हे बच्चों की पुकार”,युवा कवि भरत शर्मा ने “मैं थोड़ा सा बेगाना ए अलम हूँ”,मोहनलाल जा जांगीड़ ने हाइकु “युवा जो आगे बढ़े”,शारदा भारद्वाज ने “ऐ हिन्द मेरे हमेशा तू खैरो,खुश आबाद रहे”,युवा शाइर फ़ानी जोधपुरी ने “बना के साज़ पे सरगम बना दिये गए तुम”,डॉ यज़त भारद्वाज ने “बलिदान हुए जो वीर जवां उनको नमन हमारा” और भरत कुमार खुड़िया ने “फिर से दुआ करना फिर मिलने की ज़िद करना” सुना गोष्ठी को आगे बढ़ाया।संचालन डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने किया।