बीकानेर, 05 फरवरी। शिक्षा, कला एवं संस्कृृति मंत्री डाॅ. बी.डी.कल्ला ने कहा कि बीकानेर की रम्मतें (लोकनाट्य) तीन शताब्दी से अधिक समय से सामाजिक चेतना को जागृृत करने, बुराइयों व कुरीतियों को दूर करने के साथ साम्प्रदायिक सौहार्द व आपसी भाईचारे की भावना के स्वस्थ मनोरंजन का प्रमुख माध्यम रही है।
डाॅ. कल्ला शनिवार को बिस्सों के चौक में जवाहर कला केन्द्र के तत्वावधान में श्री आशापुरा नाट्य एवं लोक कला संस्थान की ओर से आयोजित रम्मत कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्यशाला से बीकानेर की सांस्कृृतिक धरोहर से बाल व युवा पीढ़ी जुड़ेगी तथा श्रेष्ठ कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित होगी। उन्होंने कहा कि संगीत, कला एवं साहित्य के बिना मनुष्य पशु के समान होता है। विद्यार्थी व युवा वर्ग बेतहर एकेडमिक शिक्षा ग्रहण करने के साथ संगीत व कला का भी प्रशिक्षण लें। उन्होंने कहा कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में संगीत व कला विषय के पाठ्यक्रम लागू करवाने के लिए कार्यवाही की रही है।
जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त निदेशक अनुराधा गोगिया ने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुसार पारम्परिक कलाओं पुर्नजीवित रखने के लिए चित्तौड़गढ़ में तुर्रा किलंगी, मेड़ता में कुचामणी ख्याल, बीकानेर में रम्मत की कार्यशाला आयोजित की जा रही है। आजादी के अमृृत महोत्सव के तहत आयोहित कार्यशाला में विभिन्न जाति वर्ग व समुदाय के बाल कलाकारों को अमर सिंह राठौड़, नौटंकी शहजादी और भक्त पूर्णमल की रम्मत का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षक उस्ताद किशन कुमार बिस्सा, लोक गायक सांवर लाल रंगा व संतोष जोशी और वरिष्ठ सांस्कृृतिक पत्रकार शिव कुमार सोनी ने बीकानेर की लोकनाट्य परम्परा से अवगत करवाया तथा बीकानेर में मांड प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने व रम्मत शिविर को प्रतिवर्ष आयोजित करने का पक्ष रखा। रम्मत के कलाकार राम कुमार बिस्सा, बलदेव बिस्सा, इन्द्र कुमार बिस्सा आदि ने डाॅ.कल्ला व अतिथियों का स्वागत किया। डाॅ. कल्ला ने देवी आशापुरा की पूजा व आरती में भागीदारी निभाई तथा बीकानेर के विकास, साम्प्रदायिक सौहार्द व आपसी भाईचारे को बढ़ाने की मंगल कामना की। कलाकारों ने रम्मत की गणेश वंदना सहित संवाद पेश किए। रम्मत के उस्ताद स्वर्गीय रमणसा बिस्सा का भी स्मरण किया गया।