बीकानेर/पाँचू , 02 मार्च। एक तरफ सरकार द्वारा पर स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहीं, पांचू कस्बे के खेतीसर कुवा छेत्र में विगत 6-7 महीने से सीवर लाइनों के ओवरफ्लो होकर इक्कठा हो रखे गंदे पानी की समस्या से स्थानीय वाशिंदे स्कूली बच्चे और राहगीर दुखी और परेशान हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को लेकर सरकार लाखों रुपये का बजट खर्च करती है लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही कहें या बेरुखी कि गांव में देवलोक गमन करने वाले की अंतिम यात्रा तक कीचड़ में होकर गुजरती है, जो मानवीय संवेदनाओं को झंझोड़ कर रख देती है।
समाज चाहे कोई सा भी हो, जब भी किसी व्यक्ति की अंतिम यात्रा शुरू होती है तो उसे पूरे विधि विधान से नहला कर उस की शव यात्रा को भी सजाया जाता है, जिससे इस भूमंडल से गमन करने वाला व्यक्ति अपनी अंतिम यात्रा को सुखद बना सके लेकिन वहीं शव यात्रा जब कीचड़ में से होकर गुजरती है तो कहीं ना कहीं मानवता भी शर्मसार होती नजर आती है
बात है बीकानेर जिले की पांचू गांव की, जहां अव्यवस्थाओं का यह आलम है कि अंतिम यात्रा में जाने वाला पार्थिव शरीर भी कीचड़ और गंदगी से होकर गुजरता है. यह वह जिला है, जहां 1 या 2 नहीं बल्कि राजस्थान सरकार में तीन-तीन मंत्री प्रतिनिधित्व करते हैं तो केंद्र सरकार में भी यहां के सांसद मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं लेकिन जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्र की दशा है, वह कहीं न कहीं केंद्र या राज्य सरकार की उन नीतियों पर प्रश्नचिन्ह उठा रहा है, जिसको लेकर वो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।
स्वच्छ भारत अभियान पर उठे सवाल
एक तरफ सरकार द्वारा पर स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहीं, पांचू कस्बे के खेतीसर कुवा छेत्र में विगत 6-7 महीने से सीवर लाइनों के ओवरफ्लो होकर इक्कठा हो रखे गंदे पानी की समस्या से स्थानीय वाशिंदे स्कूली बच्चे और राहगीर दुखी और परेशान हैं. ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर सभी जिम्मेदारों को कई बार अवगत करा दिया लेकिन जिमेदारो के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
पंचायत प्रशासन की व्यवस्था पर सवालिया निशान
शर्मनाक वाकया तो तब हुआ जब मंगलवार सुबह गांव के पप्पूराम सेवग की शवयात्रा लेकर ग्रामीणों को इसी कीचड़ भरे पानी मे से निकलना पड़ा. शवयात्रा को लेकर चल रहे लोगों का इस गंदे पानी मे से होकर गुज़रना पंचायत प्रशासन की व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
समस्या का निदान नहीं
इस क्षेत्र में दो निजी विद्यालयों सहित एक बालिका विद्यालय और एक उच्च माध्यमिक विद्यालय है. इन विद्यालयों में पढ़ने वाले समस्त बच्चों को हर रोज इसी गंदे में से होकर गुजरना पड़ता है. अक्सर छोटे बच्चे इस कीचड़ में गिर जाते हैं, बच्चों के स्कूल बैग किताबे कॉपी गंदगी से खराब हो जाते हैं लेकिन इन नौनिहालों की इस समस्या का निदान कहीं होता दिखाई नहीं दे रहा।
क्या कहना है स्थानीयों लोगों का
स्थानीय निवासी सत्यनारायण और दुर्गेश ने बताया कि गांव के इसी क्षेत्र में सरकारी और निजी स्कूली भी है. बच्चों को इस गंदगी में से होकर गुजरना पड़ता है. सीवरेज लगातार जाम होने के कारण यह पानी सड़कों पर इकट्ठा हो जाता है. ग्राम पंचायत द्वारा जमीन में हॉल भी करवाए गए लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुए. शव यात्रा इस कीचड़ में से होकर गुजरना काफी शर्मसार है. स्थानीय विधायक के साथ-साथ जिला कलेक्टर और एसडीएम को भी अवगत कराया गया लेकिन अभी तक इसका कोई स्थाई समाधान नहीं निकला।