बीकानेर, 20 मार्च। इस साल राजस्थान में सरसों की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से सरसों पर स्टॉक सीमा लगाए जाने के कारण व्यापारियों में असंतोष है। उनका कहना है कि स्टॉक सीमा के कारण प्रदेश में उत्पादन होने वाली सरसो को मजबूरन दूसरे राज्यों में सस्ते दामों पर बेचना पड़ेगा और फिर बाद में आवश्यकता पड़ने पर राजस्थान की तेल मिलों को इसी सरसो को महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगा। इसलिए राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की ओर से सरकार से सरसों पर स्टॉक सीमा हटाने की मांग की जा रही है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने स्टॉक सीमा निर्धारित करने के आदेश राज्यों को प्रसारित किए थे, इसके बाद अधिसूचना जारी कर राजस्थान सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने सरसों तथा सरसों तेल पर स्टॉक सीमा 31 मार्च 2022 तक के लिए प्रभावी कर दी गई थी। इसके बाद भारत सरकार ने 3 फरवरी 2022 को आदेश जारी कर उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और बिहार को सटॉक सीमा से मुक्त कर दिया है, लेंकिन राजस्थान में अभी भी स्टॉक सीमा लगी हुई है, जिससे प्रदेश में उत्पादन होने वाली सरसो को मजबूरन दूसरे राज्यों में सस्ते दामों पर बेचना पड़ रहा है और फिर बाद में इसी सरसों को तेल मिलों को महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगा।
राज्य में 60 लाख टन सरसों पैदा
राजस्थान में गत वर्ष के मुकाबले 25 लाख टन सरसों अधिक पैदा हुई है। यानि राज्य में 60 लाख टन सरसों पैदा हुई है। मण्डियों में 10 लाख बोरी की प्रतिदिन आवक हो रही है। किसान का माल प्रतिदिन जितना आता है उतना तुलता रहे और मण्डियों में माल का स्टॉक सालभर तक बना रहे। ताकि राज्य की तेल मीलें 100 प्रतिशत क्षमता पर वर्षभर चलती रहे। इसके लिए आवश्यक है कि तत्काल प्रभाव से सरसों तथा सरसों तेल पर लगाई गई स्टॉक सीमा समाप्त की जाए।