आर्य समाज में मनाया स्थापना दिवस

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बीकानेर 03 अप्रैल । आर्यसमाज का 148 वा स्थापना दिवस  नगर आर्य समाज,   महर्षि दयानन्द मार्ग,बीकानेर की शाखा एसबीआई  बैंक के पीछे, गंगाशहर रोड़,बीकानेर में बीकानेर जिले की समस्त आर्य समाजो के सामूहिक कार्यक्रम में आचार्य श्री शिवकुमार जी शास्त्री ने अपने उद्बोधन में प्रतिपादित किया  कि  ज्योतिष एक वेदांग है जिसको पढ़े बिना वेदमंत्रों के अर्थो को समझना दुष्कर    है  ।

पाश्चात्य कालगणना  अपूर्ण है , दोषयुक्त है लेकिन भारतीय कालगणना वैज्ञानिक है, परिपूर्ण है व गणितीय विद्या पर आधारित होने के कारण शुद्ध है । उन्होंने आगे कहा कि आज ही के दिन  मानव की उत्पत्ति सर्वप्रथम त्रिविष्टम (तिब्बत)मे मानसरोवर के निकट हुई । अतः आज का दिन विशिष्ट होने से आज ही के दिन महर्षि दयानंद सरस्वती ने सन 1875 में बम्बई में आर्य समाजकी स्थापना की ।       विशिष्ट अतिथि USA से पधारे भारतीय संस्कृति के पोषक श्री पंकज ओझा ने कहा कि  आर्य समाज देश में फैले अंधविश्वास, कुरूतियो,
पाखंड व बुराइयों को दूर  करने का एकमात्र स्थान है । यह वैचारिक क्रांति जाग्रत  करता है। अतः हमे आर्यसम्माज से जुड़ना चाहिए जिससे हमारा जीवन श्रेष्ठ व संस्कारित हो सके तथा मानवमात्र का कल्याण कर सकें ।
     यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य श्री केसरमल शास्त्री ने  विशेष वैदिक मंत्रों से यज्ञ में आहूतियां दिलवाते हुवे कहा कि पंचमहायज्ञ नित्यप्रति किये जाने चाहिए ।  विक्रमादित्य ने शकों और हूणों आदि बाह्य  आक्रमणकारियो से राष्ट्र को बचाया तथा प्रजा को धन-धान्यपूर्ण करने से उनके राज्याभिषेक से ही विक्रम संवत्सर के रूप में मनाया जाता है।
     इनके अतिरिक्त डॉ आर प्रसाद, रामगोपाल, डॉ संजय गर्ग,गौतमसिंह , सत्यपालसिंह, सुनीता, सुबोधबाला, गोविंद आदि ने पर्व संबंधी अपने विचार रखे व कविता पाठ किया । कार्यक्रम का प्रारम्भ  श्रीगोवर्धन-गायत्री, विनोद-सुनीता के यज्ञमानत्व तथा आचार्य श्री केसरमल शास्त्री के ब्रह्मत्व में यज्ञ हुवा जिसमे विशेष वेदमंत्रो से  श्रद्धालुओं ने आहूतियां दी।
      मुख्य अतिथि आचार्य श्री शिवकुमार जी शास्त्री, विशिष्ट अतिथि श्री पंकज जी ओझा तथा आचार्य श्री केसरमल जी शास्त्री का प्रधान महेश आर्य ने ओम-पत्तिका, वैदिक साहित्य और गायत्रीमंत्र प्रशस्ति पत्र से अभिनंदन  किया । प्रधान महेश आर्य ने बीकानेर आर्य समाज के गौरवपूर्ण इतिहास का यशोगान करते हुए पुनर्निर्माण के लिए हर तरह से सहयोग करने की अपील की।
    कार्यक्रम का संचालन मंत्री भगवती प्रसाद आर्य ने किया तथा प्रत्येक रविवार, अमावश व पूर्णिमा को आने का आह्वान किया ।
  शांतिपाठ पश्चात वैदिक उद्घोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।