चांद मल ढढ्ढा की निकली गणगौर व जूनागढ़ से शाही गणगौर की सवारी निकली, हुई गणगौरों की दौड़
बीकानेर, 05 अप्रेल। देवी पार्वती के गणगौर स्वरूप, भगवान शिव के ईसर तथा भगवान गणपति के रूप् में भाइये का पूजन सोमवार को झोपड़ी से लेकर महल तक हुआ। शहर का पूर्ण वातावरण गणगौर मय रहा।
जूनागढ़ से शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी तथा ढढ्ढों के चैक में चांदमल ढढ्ढा की बेस कीमती आभूषणों का श्रृृंगार किए हुए गणगौर निकली। अनेक स्थानों पर मेले लगे। बालिकाओं ने विभिन्न स्थानों पर प्राचीन कुँओं के पास गणगौर पूजन की सामग्री, घूड़ला तथा शीतला सप्तमी व अष्टमी को बोए गेहूं के जंवारों को गणगौर पूजन में उपयोग लेकर विसर्जन किया। मंगलवार को भी विभिन्न स्थानों पर मेले भरे तथा गणगौर पूजन सामग्री का विसर्जन किया ।
चैतीना कुआं से कोटगेट के बीच प्रतीक रूप् में गणगौरों की दौड़ हुई। जस्सूसर गेट के मोहता कुआं, नया कुआं, चैतीना कुआं, गंगाशहर,भीनासर सहित विभिन्न स्थानों पर पारम्परिक विदाई गीत गाते हुए, डीजे व ढोल के साथ नृृत्य करते हुए गणगौर पूजन सामग्री का विसर्जन किया। मेला स्थलों पर लगी खान पान की वस्तुओं, झूलों का महिलाओं व बालिकाओं ने खूब आनंद लिया। सर्वाधिक भीड़ जस्सूसर गेट के अंदर रही।
घरों में पूजन- हर घर में सुखमय व मंगलमय जीवन की कामना को लेकर गणगौर, ईसर व भाइए की प्रतिमाओं के आभूषणों व वस्त्रों का श्रृंगार कर पूजन किया। गणगौर के पारम्परिक रूप् से गेहूं, बाजरी, बेसन के बनाएं गए ढोकलों और फोगले के रायते का भोग लगाया । गीत गाए तथा परिवार में सुख-समृृद्धि की कामना की।
चांदमल ढढ््ढा की गणगौर- पैरों वाली चांद मल ढढ्ढा की गणगौर ने नख से सिख तक बेसकीमती आभूषणों का श्रृंगार किया हुआ था। आयोजन से जुड़े यशवंत कोठारी ने बताया कि पुत्र कामना का पूर्ण करने वाली गणगौर माता का श्रृृंगार विनोद नाहटा व मन मोहन सेवग ने किया। स्वर्गीय चांदमल ढढ्ढा के वंशज नरेन्द्र कुमार ढढ्ढा सपरिवार सूरत से बीकानेर आएं । मेला मंगलवार को सुबह नौ बजे आरती व भोग के बाद शुरू हुआ जो रात साढ़े दस ग्यारह बजे तक चला। गणगौर के आगे पुत्र सहित विभिन्न कामना को लेकर विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं ने नृृत्य किया।