बीकानेर 06 जून । स्वर्ण सुर संगम के 11वें वार्षिकोत्सव पर प्रेम पुष्प कुंज पर संगीतमय कार्यक्रम संगीत संध्या का आयोजन किया गया।
जिसमें स्वर्ण सुर संगम के अनेक कलाकारों ने राग रागिनियों में एवं गायन वादन आदि में अपनी संगीत कलापूर्ण सांगीतिक प्रस्तुतियां दीं ।
स्वर्ण सुर संगम के प्रेरणा स्रोत श्री ज्ञानेश्वर सोनी ने शास्त्रीय धुन पर आधारित – तोसे नैना उलझ उलझ गए श्याम एवं सखी म्हारी नींद नसानी हो रचनाएं प्रस्तुत की ।
स्वर्ण सुर संगम के अध्यक्ष श्री चांद रतन सोनी ने – मन रे कृष्ण नाम कह लीजे एवं जय शिव शंकर हे करुणाकर भजन रचनाएं सुनाई।
गौरी शंकर सोनी ने शास्त्रीय धुन पर आधारित यमन कल्याण विलंबित व द्रुत खयाल गायन के अलावा अब वो मेरे प्राण कहां है एवं गजल जिन रातों में नींद उड़ जाती है गाकर माहौल संगीतमय कर दिया।
श्री अनिल आसोपा ने सेक्सोफोन पर रूप तेरा मस्ताना एवं बांसुरी पर अजी रूठ कर अब कहां जाइएगा सुना कर सभी का मन मोह लिया ।
श्री सुखीराम ने ग़ज़ल मुझे ज़िंदगी की दुआ लगे एवं संस्कृत एवं हिंदी भाषा दोनों में – बहारों फूल बरसाओ एवं ना कजरे की धार गाकर सबको भावविभोर कर दिया।
स्वर्ण सुर संगम के सचिव श्री मोहन लाल सोनी ने सुख के सब साथी गाकर वाहवाही लूटी।
श्री राजेन्द्र स्वर्णकार ने ग़ज़ल – दोस्तों ये इल्तिज़ा है प्यार कीजिए… गाकर समां बांध दिया।
स्वर्ण सुर संगम के सचिव श्री प्रेम स्वर्णकार ने – शोला हूं भड़कने की गुज़ारिश नहीं करता एवं तुमको देखा तो ये ख़याल आया… ग़ज़लें प्रस्तुत कर आनंदित किया।
सभी कलाकारों ने स्वयं हारमोनियम बजाते हुए अपनी अपनी प्रस्तुतियां दी । बांसुरी पर संगत श्री अनिल आसोपा ने की, एवं ढोलक एवं तबले पर संगत श्री ज्ञानेश्वर सोनी के अतिरिक्त श्री मोहन लाल सोनी, श्री गौरी शंकर सोनी, श्री अनिल आसोपा एवं श्री सुखीराम ने संगत की ।
उक्त अवसर पर श्री ज्ञानेश्वर सोनी चांद रतन सोनी, मोहन लाल सोनी गौरी शंकर सोनी अनिल आसोपा सुखीराम राजेन्द्र स्वर्णकार प्रेम स्वर्णकार सूरज रतन सोनी जयचंद लाल सोनी राहुल सोनी के अतिरिक्त अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। सभी ने सरस सुरमयी संगीत संध्या में श्रेष्ठ प्रस्तुतियों का रसास्वादन किया ।