धर्मसभा में प्रवचन करते हुए आचार्यश्री ने कहा – संसार में चार चीजों को दुर्लभ कहा गया है। पहला है– मनुष्यत्व अर्थात मनुष्य जन्म मिलना बड़ा दुर्लभ है व इसके साथ महत्वपूर्ण भी। चौरासी लाख जीव योनियों में मनुष्य जन्म मोक्ष का द्वार है। शास्त्रों में कहा गया है कि देवताओं को भी मनुष्य भव से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। इसलिए जो मनुष्य जन्म हमें मिला है इसका जितना हो सके सदुपयोग करना चाहिए। दूसरी दुर्लभ वस्तु है – धर्मश्रुति। धर्म का श्रवण करना दुर्लभ है। संसार में कितने इसे मनुष्य होंगे जिन्हें धर्म, अहिंसा क्या है ये भी नहीं पता। मनुष्य जन्म में भी धर्म का श्रवण दुर्लभ है।
गुरूदेव ने आगे कहा की कई धर्मश्रवण कर भी ले तो फिर धर्म के प्रति श्रद्धा का होना दुर्लभ है और फिर उस अनुरूप आचरण तथा संयम में पुरुषार्थ व पराक्रम का होना दुर्लभ है। व्यक्ति को साधु–संतों का योग मिल जाए तो फिर जीवन में धर्म को उतारने का प्रयास करे। मनुष्य जन्म को हम सार्थक करे यह अपेक्षित है।
इस अवसर पर गांव से सरपंच रामस्वरूप विशनोई, शिवराज विशनोई, विद्यालय के प्रिंसिपल ओमप्रकाश मीना, श्रीमती विमला देवी मालू नोखा, देवकिशन चांदड़ ने अपने विचार रखे। जोरावरपुरा तेरापंथ महिला मंडल, भीनासर महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी ।