एमजीएसयू के इतिहास विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित
हमारी संस्कृति को नष्ट करने की दृष्टि से अंग्रेजों ने संस्कृत साहित्य पर किए लगातार प्रहार : प्रो. रमाकांत पांडे
अतिशयोक्ति नहीं होगी यह कहना कि संस्कृत साहित्य अपनेआप में है भारतीय संस्कृति का आईना : कुलपति विनोद कुमार सिंह
बीकानेर 27 जून । अंग्रेज भली-भांति जानते थे कि अगर भारत में शासन करना है तो संस्कृत भाषा और उसके साहित्य को नष्ट करना होगा।लॉर्ड मैकाले ने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए अंग्रेजी को भारत की सरकारी भाषा तथा शिक्षा का माध्यम बनाया और संस्कृत की पारंपरिक शिक्षा को अवैध घोषित किया।प्रतिक्रिया में अंग्रेजों के विरुद्ध विशाल आंदोलन खड़ा हुआ जिसका परिणाम यह हुआ कि कोलकाता हिंदू कॉलेज और संस्कृत कॉलेज के छात्रों ने मिलकर अंग्रेज अधिकारियों पर आक्रमण बोल दिया ।
सोलह वर्षीय संस्कृत छात्र कैलाश चंद्र दत्त को जिसके मृत्यु पूर्व लिखे पत्र में संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए युवाओं का आह्वान किया गया था।
एमजीएसयू के इतिहास विभाग एवम् संग्रहालय व प्रलेखन केंद्र द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव विषयक एक दिवसीय कार्यशाला में उपरोक्त विचार मुख्य वक्ता केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक प्रोफेसर रमाकांत पांडे द्वारा व्यक्त किए गए। उन्होंने संस्कृत में लिखित आज़ादी की लड़ाई के अज्ञात इतिहास : संग्रहालयों की ज़ुबानी विषय पर अपनी बात रखी।
कार्यशाला का आरंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
आयोजन सचिव इतिहास विभाग की डॉ मेघना शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यशाला की भूमिका पर प्रकाश डाला व बताया कि संस्कृत के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य व प्रेस पर भी प्रतिबंध लगाए गए। यहां तक की पत्रकारों को अपना अखबार प्रकाशित करने से पहले अंग्रेजों को दिखाए जाने के फरमान जारी हुए। कइयों को प्रतिबंधित भी किया गया। डॉ॰ शर्मा ने मुख्य वक्ता का परिचय भी मंच से पढ़ा।
विश्वविद्यालय के संग्रहालय व प्रलेखन केंद्र की निदेशक डॉ. मेघना ने बताया कि अतिथियों ने आयोजन पूर्व चित्र कलाकृति का विमोचन किया जिसे चित्रकला विभाग के विद्यार्थियों द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला में बनाकर तैयार किया गया था।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति की धरोहर को संस्कृत साहित्य में बखूबी सदियों से सहेजा है।यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि प्राचीन भारतीय वैभव के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम को परिलक्षित करता बेहतरीन आईना संस्कृत साहित्य प्रस्तुत करता है।
आयोजन में अतिथियों द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव विषय पर कलाकृति तैयार करने वाले विद्यार्थियों को मंच से प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया। चित्रकला विभाग के विद्यार्थी राम कुमार भादाणी ने मुख्य वक्ता को उनका स्केच बनाकर भेंट किया।
धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव यशपाल अहूजा द्वारा दिया गया तो वहीं मंच संचालन डॉ प्रगति सोबती ने किया।
एमजीएसयू के वित्त नियंत्रक बी एल सर्वा, आजादी का अमृत महोत्सव के विश्वविद्यालय नोडल अधिकारी व उप कुलसचिव डॉक्टर बिट्ठल बिस्सा
परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजाराम चोयल, निदेशक शोध डॉ रविंद्र मंगल, डॉ प्रभुदान चारण, डॉ॰अभिषेक वशिष्ठ, डॉ॰ सीमा शर्मा व उमेश शर्मा के अतिरिक्त संबद्ध महाविद्यालयों के सदस्य व भारी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।