शहर भाजपा ने बलिदान दिवस पर भावपूर्वक किया महान राष्ट्रवादी डॉ. श्यामप्रसाद मुख़र्जी का स्मरण
भारत की एकता और अखंडता अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले महान राष्ट्रवादी व्यक्तित्व थे डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी – डॉ. सुधा शर्मा
बीकानेर। भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष और महान राष्ट्रवादी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के 69 वें बलिदान दिवस के अवसर पर गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय में जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें कार्यकर्ताओं ने डॉ. मुख़र्जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
संगोष्ठी में वक्ताओं ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी को आधुनिक राष्ट्रवाद का जनक बताते हुए उन्हें भावपूर्वक श्रद्धांजलि दी । इस अवसर पर पार्टी के जिला पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष , मोर्चा अध्यक्ष, प्रकोष्ठ पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय जनता पार्टी बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सहसंयोजक डॉ. सुधा शर्मा ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा की उन्होंने ही सही मायने में स्वतंत्रता के बाद देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर प्रयास किए ।
डॉ. सुधा शर्मा ने कहा कि कांग्रेस हर हाल में देश में सरकार बनाना चाहती थी और इसके लिए उन्होंने देश के विभाजन तक को स्वीकार कर लिया । पूरे देश को अंधेरे में रखा गया और यहाँ तक कि सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता भी देश के बंटवारे को लेकर अंधेरे में थे जबकि देश की राष्ट्रवादी शक्तियां विभाजन के विरोध में थी । पहले देश का विभाजन और बाद में जम्मू और कश्मीर को अनुच्छेद 370 के माध्यम से एक अलग दर्जा देकर तत्कालीन नेहरू सरकार ने देश के साथ कुठाराघात किया जिसको चुनौती देते हुए डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जम्मू सीमा पर सत्याग्रह करते हुए विरोध दर्ज किया। उन्होंने नारा दिया कि एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नही चलेंगे। उन्होंने जम्मू सीमा पर परमिट व्यवस्था को धत्ता बता कर प्रवेश किया जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर कश्मीर की जेल में डाल दिया गया । कुछ दिनों बाद बिगड़ते स्वास्थ के चलते उनकी मृत्यु हो गई और उनकी मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि अगर डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी नहीं होते तो भारत वर्तमान पंजाब और बंगाल से भी हाथ धो बैठता। उन्होंने अपनी सूझबूझ और राजनैतिक कौशल से बंगाल और पंजाब का विभाजन करवा कर कलकत्ता और अमृतसर को पाकिस्तान में जाने से बचाया। कांग्रेस येन केन सत्ता हासिल करने के उद्देश्य मे लगी थी और देश के करोड़ो हिंदू परिवारों ने विभाजन का दंश झेला है।
सिंह ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रवादी व्यक्तियों को एकत्रित कर जनसंघ जैसे एक राजनैतिक दल को खड़ा किया। जनसंघ ने संसद के अंदर और बाहर देश भर में नेहरू सरकार की देश विरोधी नीतियोँ का डट कर मुकाबला किया। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 वर्षो बाद मोदी सरकार ने डॉ. मुखर्जी के संकल्प को पूरा कर दिखाया। आज जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पहले जहाँ संविधान के 870 काननू लागू नहीं थे वो आज अब लागू है। कश्मीर में रोजगार के अवसर बढ़े है, पंचायत व्यवस्था, दो एम्स अस्पताल समेत केंद्र सरकार की अनेको विकास योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। अब देश का आम नागरिक कश्मीर में अपना घर बना सकता है और व्यापारी व्यापार कर सकता है ।
महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के लक्ष्य और सपनों के भारत के निर्माण को आगे बढ़ाना होगा।
पूर्व जिलाध्यक्ष विजय आचार्य ने कहा कि जनसंघ की संघर्ष यात्रा आज भी अनवरत जारी है। 70 वर्षो बाद जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा है और डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के सपनो का भारत एक देश, एक विधान और एक निशान अब पूर्ण रूप से देश में लागू है।
संगोष्ठी कार्यक्रम संयोजक जिला मंत्री कौशल शर्मा ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी आज़ाद भारत के पहले राजनैतिक बलिदानी थे। वे महान देश भक्त, शिक्षाविद और विद्वान थे। जनसंघ के अध्यक्ष बनने के बाद उनके पहले बड़े आंदोलन के तहत जम्मू-कश्मीर में समूर्ण संविधान को लागू करने की मांग की गई थी।
गुरुवार को आयोजित श्रद्धांजलि और संगोष्ठी कार्यक्रम में अनिल शुक्ला, मधुरिमा सिंह, गोकुल जोशी, प्रोमिला गौतम, इन्द्रा व्यास, सुमन छाजेड़, देवकिशन मारू, नरसिंह सेवग, जेठमल नाहटा, विनोद करोल, अजय खत्री, अभय पारीक, मुकेश ओझा, दिनेश महात्मा, कमल आचार्य, चंद्र प्रकाश गहलोत, कपिल शर्मा, राजाराम बिश्नोई, श्यामसुंदर चौधरी, सोहनलाल चांवरिया, लक्ष्मण मोदी, संपत पारीक, भारती अरोड़ा, मनोज पुरोहित, अनूप गहलोत, पुखराज स्वामी, गजेंद्र सिंह, दीपक यादव, रवि मारू, उमाशंकर सोलंकी, तेजेंद्र गिल, आशा खत्री आदि कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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