बीकानेर 17 जुलाई। गंगाशहर रोड़ स्थित होटल मरूधर हैरिटेज के विनायक सभागार में आज एक मुशायरे का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम संयोजक असद अली “असद”ने मरुधर हैरिटेज में 2012 से लगातार चल रही एकल काव्यपाठ की श्रुंखला के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर विशेष रूप से स्व.उपध्यान चन्द्र कोचर को याद किया गया।
कार्यक्रम की सदारत करते हुए वरिष्ठ शायर जाकिर हुसैन अदीब ने समां बांध दिया।
“आज़ादी ए इज़हार से क्या खौफ है उसको
क्यूं ताईरे तखईल के पर काट रहा है”
वली मोहम्मद वली रिज़्वी ने अपने कलाम से बेटियों की अहमियत से आगाह किया।
“मेरी मासूम सी चिड़ियों तुम्हारी याद आती है
मेरी ऐ बाग़ की कलियों तुम्हारी याद आती है।।
राजस्थान उर्दू अकादमी के पूर्व सदस्य असद अली “असद”ने नात शरीफ सुनाकर माहौल को अध्यात्मिक बना दिया।
“दो आलम में कोई उनसा हसीं है
नहीं है बिलयकीं कोई नहीं है”
बीकानेर में आजादी के बाद उर्दू दीवान”आहट”के खालिक इरशाद अज़ीज़ ने दौरे हाज़िर का मुजाहिरा किया।
“हमारे दौर में ख्वाबों के नशेमन उजड़े
दिलों में खिलते हुए प्यार के गुलशन उजड़े।।
उर्दू में सरस्वती वंदना लिखने वाली शारदा भारद्वाज ने अपने आप से सवाल किया।
“मेरे दिल बता तुझे है पता ये कहां के नक्शों निगार हैं
जो धूंआ उठ रहा है वो ख़ाक है या फलक का कोई गुबार है”
का़सिम बीकानेरी ने अपनी रचना में फिर से बच्चा बन जाने की बात कही। वहीं अजीत राज ने अपनी छोटी छोटी रचनाओं से बड़े बड़े सवाल खड़े कर मंथन करने पर मजबूर कर दिया।इस अवसर पर नौजवान शायर मुईनुद्दीन मोईन ने भी अपनी मज़बूत उपस्थित दर्ज करवाई।
संचालन असद अली असद ने किया।