चित्त समाधि शिविर में संभागी बने 200 से अधिक वरिष्ठ नागरिक
वक्ताओं ने बताए वृद्धावस्था को सुखमय बनाने के सूत्र
बीकानेर 12 सितम्बर । युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के अज्ञानुवर्ती मुनिश्री शांतिकुमार जी, मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ भवन में एक दिवसीय चित्त समाधि शिविर का आयोजन हुआ। जिसमें 55 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को विशेष रूप से उद्बोधन एवं जीवन के संध्याकाल को सुखमय बनाने का गुर बताए गए।
मुनिश्री शांति कुमार जी ने कहा – एक अवस्था आजाने के बाद मन में संयम की चेतना जागनी चाहिए। अगर हमे चित्त समाधि में रहना है तो छोटी–छोटी बातों को सहने की आदत होनी चाहिए। जहां एक दूसरे के प्रति सहिष्णुता की भावना होती है वह परस्पर चित्त समाधि रह सकती है।
मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी ने कहा– पचपन वर्ष की उम्र आने के बाद व्यक्ति को आध्यात्म की दिशा में अपने कदम बढ़ाने चाहिए। समय का जितना हो सके सदुपयोग करे। यह उम्र अनुभवों का खजाना होती है, उन अनुभवों को औरों को भी बांटना सीखे। अगर चिंतन सम्यक और अध्यात्ममय हो तो चित्त समाधि को प्राप्त किया जा सकता है।
मुनि अनुशासन कुमार जी ने बुढ़ापा अभिशाप नहीं वरदान है विषय पर वक्तव्य दिया। मुनि अनेकांत कुमार जी ने गीत का संगान किया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री एसपी. श्यामसुखा ने शांत जीवन जीने के चार बिंदु बताते हुए कषाय उपशमन, सहिष्णुता, पॉजिटिव थिंकिंग एवं अध्यात्ममय जीवन पर चर्चा की।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री अमरचंद सोनी ने स्वागत भाषण दिया, तेमम अध्यक्षा श्रीमती ममता रांका ने विषय के बारे में जानकारी दी, तेयुप अध्यक्ष श्री अरूण नाहटा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन सभा महामंत्री श्री रतनलाल छलानी ने किया।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद एवं तेरापंथ महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस शिविर में 200 से भी अधिक संभागियों ने भाग लिया।