बीकानेर 17 सितंबर । बेरोजगारी के कठिन दौर में हाथ का हुनर आत्मनिर्भरता का मुख्य आधार है। ये उद्बोधन मुख्य अतिथि सुनील बोड़ा, कार्यवाहक जिला शिक्षा अधिकारी ने भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर द्वारा स्थानीय वेटेनरी सभागार में शनिवार को आयोजित जिला स्तरीय कौशल दीक्षान्त समारोह के तहत व्यक्त किए। इस अवसर पर जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर के जिला स्तरीय विभिन्न गांवों एवं शहरी कच्ची बस्तियों के प्रशिक्षुओं ने बढ़-चढ़ कर सहभागिता निभाई।
मुख्यअतिथि सुनिल कुमार बोड़ा ने कहा कि गांधीजी का सपना था कि देश के पारंपरिक काम-धंधों का, कुटिर उद्योगों का विकास हो जिससे देश आत्मनिर्भर बने रह सकता है। जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर द्वारा जिस प्रकार से समाज के पिछड़े एवं जरूरतमंद वर्ग की आत्मनिर्भरता के लिए कार्य किया जा रहा है वह किसी समाज सेवा से कम नहीं है। समाज तब ही विकास करता है जब समाज के अंतिम व्यक्ति की पहचान बनती है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए मैं संस्थान को साधुवाद देता हूं।
विशिष्ट अतिथि आर.के.धुड़िया, निदेशक, प्रसार विभाग, वेटेनरी युनिवर्सिटी ने कहा कि संस्थान द्वारा राज्यपाल के आदर्श गांव गाढवाला सहित पूरे जिले में जन-जन के लिए जिस प्रकार से पारदर्शिता के साथ कौशल विकास का काम किया जा रहा है वह प्रशंसनीय है।
सान्निध्य उद्बोधन के तहत शिक्षाविद एवं बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति की मानद सचिव सुशीला ओझा ने कहा कि अपने काम में कुशल होना ही श्रेष्ठ योग है। इसलिए आपने जो काम सीखा है उसे अपनी पहचान बनाएं।
अध्यक्षीय उद्बोधन के तहत जन शिक्षण संस्थान के वाईस चेयरमैन एडवोकेट गिरिराज मोहता ने कहा कि दीक्षान्त समारोह हमारी दीक्षा के अन्त का परिचायक नहीं होता वरन जो दीक्षा प्राप्त की है उसके आधार स्वयं के और समाज के विकास की शुरूआत करने का संदेश देता है। इसलिए हाथ का हुनर सीखकर हमें बैठना नहीं चाहिए। हमें अपने हुनर में बाजार की मांग के अनुसार निरंतर नया जोड़ते रहना चाहिए।
विशिष्टि अतिथि डीन, पीजीएस, स्वामी केशवानंद विश्वविद्यालय डॉ. दीपाली धवन ने कहा कि हमारे जीवन में कितनी भी बड़ी समस्याएं आएं विपरित परिस्थितियां आए, लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी है। हमें अपने कौशल के दम पर हर कठिनाई पर विजय प्राप्त करनी है।
प्रारंभ में संस्थान के निदेशक ओमप्रकाश सुथार ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि भारत सरकार द्वारा सृष्टि में कौशल कार्य के रयचिता भगवान श्रीविश्वकर्मा के जन्मदिवस को इसबार देश भर में कौशल दीक्षांत दिवस के रूप में मनाने का नवाचार किया गया है। इसी क्रम में संस्थान के प्रशिक्षुओं के साथ जिला स्तरीय कौशल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। संस्थान का प्रयास है कि हर जरूरतमंद हाथ तक आत्मनिर्भरता का हुनर पहुंचे।
कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने संस्थान के इस जिला स्तरीय दीक्षांत समारोह का प्रभावी संयोजन करते हुए संस्थान के जिला स्तरीय कौशल विकास कार्यक्रमों की जानकारी से सदन को अवगत कराया। इसके साथ ही समारोह के विभिन्न सत्रों का बहुत कुशलता के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और सफलताओं की कहानियों की प्रस्तुती का संचालन करने हुए आयोजन को गरिमा प्रदान की।
कार्यक्रम सहायक उमाशंकर आचार्य एवं लक्ष्मीनारायण चूरा ने आयोजन में तकनीकी माध्यम से भारत सरकार द्वारा दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया। संस्थान परिवार के विष्णुदत्त मारू एवं श्रीमोहन आचार्य द्वारा आयोजन का प्रभावी व्यवस्थापन्न किया गया। संस्थान के जिला स्तरीय संदर्भ व्यक्तियों की कड़ी मेहनत और सक्रिय सहभागिता से ही आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो सकता।
जिला स्तरीय कौशल दीक्षांत समारोह में आगंतुक अतिथियों के करकमलों से अपने हुनर का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर प्रशिक्षणार्थियों के उत्साह में अत्यंतवृद्धि हुई। प्रशिक्षणार्थियों ने अपने प्रमाण पत्रों के साथ सेल्फियां लेकर इस दिवस को उत्सव के रूप में मनाया।
इस अवसर पर विभिन्न गांवों एवं कच्ची बस्तियों से आएं संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा गीत, नृत्य, कविता, भाषण आदि की प्रभावी प्रस्तुतियों से आयोजन में उत्साह के रंग भर दिए।
कार्यक्रम सहायक तलत रियाज द्वारा इतने विराट समारोह को सफल बनाने के लिए आगंतुक अतिथियों एवं सभागियों को संस्थान की ओर से धन्यवाद दिया।