बीकानेर 16 सितंबर। ‘‘ कीर्तिशेष डॉ.श्रीलाल मोहता साहित्य की सभी विधाओं के कुशल साधक थे।’’ ये उद्बोधन साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी भाषा संयोजक प्रख्यात साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने परम्परा और बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के सह आयोजन में कला-सृजनमाला की चतुर्थ मासिक कड़ी के तहत 16 सितंबर को स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा भवन सभागार में आयोजित के तहत ‘ डॉ.श्रीलाल मोहता का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व संवाद कार्यक्रम के मुख्यवक्ता के रूप में स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा भवन में सुधि श्रोताओं के समक्ष अभिव्यक्त किए।
अपने वक्तव्य के तहत मधुआचार्य ने डॉ.श्रीलाल मोहता के साथ व्यतीत संस्मरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ.मोहता ने साहित्य की सभी विधाआंे को अपने सहज स्वभाव से जीया था। वे मुझे हमेशा कहते थे तुम निरंतर लिखते रहो इससे तुम्हारे भीतर का बच्चा हमेशा जीवित रहेगा। उन्होंने मेरे लेखनकर्म को अधिकारपूर्वक परिष्कृत किया। इसीलिए डॉ.मोहता पत्रकार, संपादक, कवि, आलोचक, लोकअध्येता, नाटककार, व्यंग्यकार आदि रचनाकर्मों से साहित्य की सभी विधाओं में अपने रचनाकर्म को बड़ी कुशलता से प्रस्तुत किया था। आलोचक के रूप में उनकी दृष्टि विशिष्ट ही थी।
डॉ.मोहता के सहज समर्पण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि लोक कला संरक्षण एवं संवर्द्धन के क्षेत्र में बहुत-से कला फरोश्तों के बीच वे एकमात्र लोकसमर्पित व्यक्तित्व थे। इसके साथ ही मधुआचार्य ने डॉ.मोहता के अप्रकाशित साहित्यनिधि को सामूहिक प्रयासों से शीघ्र प्र्रकाशित करने की आवश्यकता पर भी पूरजोर समर्थन किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन के तहत बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति की मानद सचिव श्रीमती सुशीला ओझा ने कहा कि कीर्तिशेष डॉ.श्रीलाल मोहता का व्यक्तित्व जितना सहज और सरल था उतना ही गहरा और विशिष्ट था।
आगंतुकों के प्रति आभार संस्था परिवार डॉ.ब्रजरतन जोशी द्वारा आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा प्रयास है कि इस कलासृजनमाला के तहत हम डॉ.श्रीलाल मोहता के बहुविध व्यक्तित्व से जुड़े आयोजन करने का प्रयास कर पाएं। इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और शहर के प्रबुद्धजन की सक्रिय सहभागिता रही।