बीकानेर 8 अक्टूबर । हीरो आफॅ कंचनजंगा से विख्यात देश के सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों में शामिल कीर्ति चक्र, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित कर्नल प्रेमचंद डोगरा जिन्हे कर्नल प्रेम के नाम से ही जाना जाता रहा, के निधन पर बीकानेर के पायोनियर्स ने शोक व्यक्त किया है । 87 वर्षीय कर्नल प्रेमचंद स्नो टाइगर के नाम से भी जाने जाते रहे है । लाहौल स्फिति के लिंडर गांव में जन्में कर्नल प्रेम चंद का बीकानेर से भी गहरा रिष्ता रहा है ।
एवरेस्ट अभियान 1984 व 1985 के जुड़े कर्नल प्रेमचंद बीकानेर के पर्वतारोही मगन बिस्सा के गुरू रहे है तथा वर्ष 1986 में बीकानेर के तीन लापता पर्वतारोही अरविन्द बोड़ा, भानू सोनी व सूर्य प्रकाश सुथार के लापता होने की सूचना मिलते ही कर्नल प्रेमचंद ही पहले व्यक्ति थे जो तुरंत मनाली से रात को मेक्लोडगंज पहुंचे तथा तीनों पर्वतारोहियों की तलाश जारी कर दी । जब कोई सुराग नहीं लगा तो उन्होने अपने अनुभव से बता दिया था कि सर्वाइवल मुश्किल है । बीकानेर के 1984 के एवरेस्ट आधार शिविर अभियान दल के सदस्यों ने बेस केम्प में उनसे भेंट की तथा उन्होने गर्मजोशी के साथ बीकानेर के पर्वतारोहियों के स्वागत किया । 1985 के एवरेस्ट अभियान के आप पहले दल नेता बनाये गये लेकिन दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उन्हे अभियान से अलग होना पड़ा । इस दौरान फाकडिंग में ट्रेकिंग के दौरान बीकानेर के आधार शिविर जा रहे दल से भेंट की तथा एक रात साथ गुजारी । एवरेस्ट अभियान के दौरान सेना के पांच अफसरों की मौत के बाद दल के सदस्यों को जोश व हौंसला देने के लिए वापस दलनेता बनाया व हेलीकॉप्टर से बेस केंप पहुंचे । बीकानेर के साहसियों से उनका व्यक्तिगत परिचय रहा तथा उनके अनेक षिष्य पर्वतारोहण में नाम कमा रहे है । देष के सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा षिखर के आरोहण करने वाले पहले पर्वतारोही कर्नल प्रेमचंद थे जिन्होने 1977 में सबसे दुरूह मार्ग से यह षिखर आरोहण किया । इस अवसर पर सचिव आर के शर्मा, डा. सुषमा बिस्सा, महेष भोजक, अषोक कुवेरा, नरेश अग्रवाल, ओजस्वी बिस्सा सहित अन्य पायोनियर्स ने अपने अपने अनुभव बताए ।