राही की रचनाएं नव संदर्भ एवं नव बोध लिए हुए है-रंगा
बीकानेर 03 अक्टूबर। मानवीय चेतना की पैरोकारी करते हुए अपने समय के सच को उद्घाटित करना ही कवि शायर का सृजनात्मक दायित्व है, इसी दायित्व का पाली सोजत से आए हुए वरिष्ठ कवि शायर अब्दुल समद राही ने अपने सम्मान में आयोजित ‘एकल काव्य पाठ’ में रचना प्रस्तुतियां के माध्यम से सफल निवर्हन किया। उक्त आयोजन प्रज्ञालय संस्थान द्वारा आज दोपहर नालन्दा पब्लिक सी.सै. स्कूल के सृजन सदन में वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की अध्यक्षता में हुआ।
अब्दुल समद राही ने अपनी ताजा ग़ज़लों/रचनाआों की उम्दा प्रस्तुति देते हुए-ढूंढो नहीं मिलेगा यहां राम आजकल/हर एक यहां तो आज हैं रावण बना हुआ/नफरत की आग किसने लगा दी यहां वहां/लगता है आज दोस्तों सब कुछ जला हुआ/हुनर मैंने भी सीखा है सितम उसके उठाने का/हुनर उसने भी सीखा है मुझे हरदम सताने का/अब दोस्ती के नाम पे छलने लगे हैं लोग/मुश्किल में काम आने के जज्बे बदल गए आदि के माध्यम से अपने सामाजिक सरोकारों को रेखांकित किया।
एकल काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि वरिष्ठ कवि शायर अब्दुल समद राही की रचनाएं नव संदर्भ एवं नव बोध लिए हुए है, साथ ही आपकी रचनाओं का मुहावरा अलग अंदाज का है, आप मानवीय संवेदना को अपनी रचनाओं के माध्यम से स्वर देते हुए कविता की गूंज से बनी अनुगूंज से पाठकों के मन में अपना एक स्थान बनाते है।
कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने अब्दुल समद राही की रचनाओ की भाव भूमि एवं वैचारिक धरातल एक नवाचार लिए है, आप अपनी रचनाओं में हमेशा नव प्रयोग करते रहे है। इसी क्रम में कवि गिरीराज पारीक ने कहा कि आपकी भाषा पाठकों को आनन्दित करती है। राही की रचनाओं पर अपनी बात रखते हुए डॉ फारूक चौहान ने कहा कि आपकी रचनाओं के प्रतीक पाठक व श्रोताओं को प्रभावित करते है।
राही की रचनाओं पर अपनी बात रखते हुए कवि डॉ नृसिंह बिन्नाणी, गंगाबिशन बिश्नोई, प्रखर मित्तल, माजिद खा गौरी, युवा कवि पुनीत कुमार रंगा ने कहा कि आपकी रचनाएं मानवीय पीड़ा को स्वर देती है। कार्यक्रम के साक्षी रहे शेख लियाकत अली, गायक हनीफ अली, मुस्ताक, आबिद, मुखत्यार, आशिष रंगा आदि।
कार्यक्रम का संचालन हरिनारायण आचार्य ने किया, सभी का आभार युवा शिक्षाविद् राजेश रंगा ने ज्ञापित किया।