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बीकानेर 03 दिसंबर। श्री मुरली मनोहर धोरा भीनासर पर गीता जयंती महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस आयोजन हेतु दूर दूर से संतो व साधको ने भाग लिया। गीता जी पर नारायण महाराज, किशन महाराज, स्वरूप दास महाराज, श्याम सुंदर महाराज, पारस राम महाराज आदि अनेक संतो ने गीताजी की महिमा के बारे में बताया।
इस पवित्र दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के समय अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। भगवत गीता विश्व का एकमात्र ग्रंथ है जिस पर 40 हजार से ज्यादा टीकाएँ अनेक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। लगभग 12 लाख पुस्तकें मुदित हो चुकी है।
परम श्रद्धेय स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा गीता पर रचित टीका साधक संजीवनी भी छपकर सर्वप्रथम मुरली मनोहर धोरे पर आई थी। स्वामी जी महाराज द्वारा श्री मुरली मनोहर धोरे पर साधक संजीवनी की आरती कर इसे सर्वहितार्थ अर्पण किया था। परम श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने साधक संजीवनी को प्रतिदिन रात्रि कालीन समय मे लगभग 2:00 से 4:00 के बीच में जागकर लिखवाया था।
स्वामी जी महाराज जीवन पर्यंत गीता के आधार पर साधको को चलने हेतु सत्संग करते रहे। स्वामी रामसुखदास जी कहते थे कि नित्य गीता का पाठ करने एवं उसके अनुसार जीवन बनाने से व्यक्ति अपना कल्याण कर सकता है और कम से कम आगे मनुष्य जन्म मिलने की गारंटी कर सकता है।
स्वामी जी महाराज ने बताया कि हम सभी को गीता जी आज सुलभ हो रही है यह हमारे भाग्य की बात है गीता उपदेश के बाद जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ तो अर्जुन ने कृष्ण को पुनः गीता सुनाने के लिए निवेदन किया भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि अर्जुन मैंने गीता का उपदेश उस समय योगा रूढ़ होकर कहा था अब मैं उस रूप में नहीं कह सकता फिर भगवान ने संछिप्त रूप से अनु गीता के रूप में अर्जुन को उपदेश दिया।
परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की प्रेरणा से श्री मुरली मनोहर धोरे पर पिछले काफी समय से रविवार के दिन बच्चों को पूरी गीता कंठस्थ करवाने का कार्यक्रम चल रहा है प्रत्येक अध्याय कंठस्थ होने पर बच्चों को एक निश्चित इनाम दिया जाता है 9 अध्याय कंठस्थ होने पर चांदी का 50 ग्राम का मेडल व पूरी गीता कंठस्थ होने पर साइकिल प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है।