टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
भीनासर, 19 सितंबर । मुनि-चैतन्य कुमार अमन तेरापंथ भवन भीनासर में पर्युषण पर्वाराधना का विशिष्टतमपर्व संवत्सरी महापर्व हर्ष उल्लास तप-त्याग साधना आराधना करके मनाया गया। आत्मालोचन, आत्मावलोकन आत्मचिंतन आत्म मन्थन का यह महापर्व अन्तरमुखी बनाने वाला है। छोटे-बड़े सभी श्रावक -श्राविकाएं आज के दिन उपवास – सामायिक-पौषध-प्रतिक्रमण करते हुए स्वयं को भावित करते हैं। इस अवसर पर अपने मुख्य प्रवचन में मुनि श्री चैतन्य कुमार अमन ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा – आत्म रंजन की दिशा मे बढाने वाला महापर्व है-संवत्सरी। जैन धर्म में इस पर्व का सर्वाधिक महत्त्व है। यह पर्व आमोद-प्रमोद मोज मस्ती का नहीं अपितु संयम-तप-त्याग का पर्व है। अधिकांश लोग मनोरंजन के साथ मनाकर पर्व को अलविदा कर देते है एक मात्र जैनो का यह पर्व है जिसमें मनोरंजन नही आत्म रंजन की प्रधानता है।
मुनि अमन ने कहा- स्वयं तीर्थंकरों ने इस पर्व की आराधना की। क्षमा के धरातल पर खड़ा यह पर्व मैत्री- सहयोग समन्वय सामंजस्य भाव बढाने वाला पर्व है। प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से इस समय चारों तरफ हरितिमा छा जाने से मौसम भी सुहावना हो जाता है। इस दिन प्रत्येक साधक का यह चिन्तन होना चाहिए कि जीवन में मैने अपनी आत्मा के लिए क्या किया है। शरीर और परिवार के सारा प्रयत्न हो ही रहा है किन्तु अन्त मे न मेरा शरीर है लिए न मेरा परिवार है अतः मुझे अपनी आत्मा के कुछ है करना है। आत्म कल्याण के लिए करना है। जो शाश्वत नित्य और ध्रुव है।
इस अवसर पर मुनि प्रबोध कुमार ने समसामयिक विषयों पर प्रकाश डालते हुए विचार प्रस्तुत किए। महिला मंडल की सदस्याओं ने सुन्दर सटीक एवम् प्रेरणास्पद संगीतमय परिसंवाद प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थीयों ने संस्मरणात्मक कथाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत की विरापंडी सभा के मंत्री महेन्द्र बैद ने तेरापंथी सभा के मंत्री आचार्य परम्परा का विस्तार से वर्णन किया।