टुडे राजस्थान न्यूज़ ( अज़ीज़ भुट्टा )
कोटा ,27 दिसम्बर । गुजरात के भावनगर जिले स्थित श्री पालीतणा जैन तीर्थ पर खतरगच्छ सहस्त्राब्दी महोत्सव में गुजरात के राज्यपाल पधारे। उन्होंने खतरगच्छ संस्थापक आचार्य जिनेश्वरसूरी जी की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन किया। आचार्य श्री का महामंगलिक नवकार महामंत्रोच्चार से किया गया। खरतरगच्छ सहस्राब्दी के इस पुनीत अवसर पर ₹1000 के रजत सिक्के का विमोचन व डाक टिकट भी महामहिम ने किया।
राज्यपाल महोदय आचार्य देवव्रत जी ने श्री जिन पियूषसागर सूरीश्वर जी को विमोचित सिक्का भेंट किया। यह स्मारक सिक्का सहस्त्राब्दी वर्ष के उपलक्ष में भारत सरकार ने जारी किया है।
इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल ने जैन धर्म के पंच तत्वों पर सारगर्भित भाषण से समारोह में उपस्थित जैन समुदाय के सभी सुधी जनों का मन मोह लिया। राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में जैन संतों के त्यागी, तपस्वी, मर्यादित, संयमी आदर्श जीवन सिद्धांतों को मानव कल्याण के मंत्र बताए। अहिंसा तथा जियो और जीने दो के सिद्धांत आज पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय और प्रासंगिक हैं। जो शांति और सम्मान से जीवन जीने का संदेश देते हैं। मनुष्य में देवत्व का उदय करने वाले हैं। भारतीय साहित्य और संस्कृति को नवजीवन प्रदान करने वाले हैं। जैन संतों ने जो उपदेश दिए उन्हें अपने आचरण में भी धारण किया।
उपदेशों से जैन संतों ने नैतिकता से जीने का संदेश देश और दुनिया को दिया। वहीं अहिंसक और संयमी तपस्या से स्वयं को कुंदन बनाया और सबको ऐसी ही प्रेरणा दी। जैन संतो के जीवन के आदर्श सार्वभौमिक सिद्धांत विश्व कल्याण के लिए ही है।
ललित नाहटा ने अपने स्वागत भाषण में सभी का स्वागत व आभार के साथ वर्षपर्यंत हुए कार्यक्रमों की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। श्री पालीतणा जैन तीर्थ मे इस अवसर पर श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा। पालीताणा के स्थानीय व्यक्तियों का कहना था कि सहस्राब्दी महोत्सव आज तक के इतिहास में यह समारोह भव्यातिभव्य रहा व राष्ट्रीय स्तर का समारोह भी प्रथम बार हुआ कि जिसमें सिक्के व डाक टिकट का अनावरण हुआ।