राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 2024 राज्य के अध्ययनरत छात्रो के हितो पर कुठाराघात

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टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
बीकानेर,09 फरवरी । राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 2024 राज्य के अध्ययनरत विद्यार्थियो के विरोधी और छात्रो के हितो पर कुठाराघात है ।
राजस्थान वरिष्ठ अध्यापक संघ (कला वर्ग) के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष जोशी ने राज्य के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजकर कहा है कि राज्य की पूर्ववर्ति सरकार के गलत निर्णय से अंतिम केबिनेट की बैठक मे लिए निर्णय से राज्य के कक्षा 11 व 12 मे अध्ययनरत विद्यार्थियो के गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के विपरीत जाकर केवल पदोन्नति के चाहत शिक्षको के दबाव में निर्णय लेकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के विरोध में संशोधन किया गया है जिस पर पुनः विचार किया जावे ।


जोशी ने ज्ञापन में लिखा है कि राज्य के बुद्धिजीवी वर्ग के अधिकारियो द्वारा देश के कई राज्यो की शिक्षा नीतियो का अध्ययन कर तथा केन्द्रीय और नवोदय विद्यालयो की तर्ज़ पर राज्य मे भी समान विषय मे स्नातक और स्नातकोत्तर होने पर ही व्याख्याता पदौन्नति की सिफारिश की गई जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके । जिसे शिक्षा सेवा नियम 2021 से लागू भी किया गया लेकिन गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वास्ता न रखकर केवल पदौन्नति की चाह वाले शिक्षको के दबाव में पूर्ववर्ति सरकार ने अपने अंतिम कार्य दिवसो में यह विद्यार्थी विरोधी निर्णय लिया गया जिस पर पुनः विचार किया जावे ।
जोशी ने ज्ञापन में लिखा है कि असमान विषय में स्नातकोत्तर करने वालो को पदोन्नति देने से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के गुणवत्ता युक्त शिक्षण की धारणा लागू नही हो सकती । अतः सेवा नियम 2024 पर छात्र हितो के लिए पनःविचार किया जावे ।
जोशी ने ज्ञापन में लिखा है कि तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 2022 मे ही सरकार को अपने अभिमत से स्पष्ट रूप से लिखा था कि असमान विषय में स्नातकोत्तर करनेवाले कतिपय व.अ. द्वारा नियमो को पूर्ववत करने का दबाव बनाया जा रहा है जिनकी संख्या भी मात्र 8 से 10 प्रतिशत ही है जबकि 90 प्रतिशत अध्यापक समान विषय मे स्नातकोत्तर है जिनके पदौन्नति से विद्यार्थियो को गुणवत्ता युक्त शिक्षण भी प्राप्त होगा उन्होंने लिखा कि इस बारे में शिक्षाविदो और अधिकांश शिक्षक संगठनो की भी यही राय है ऐसी परिस्थिति में विभाग द्वारा नियमो में परिवर्तन करना उचित नही होगा । इस सम्बंध में कार्मिक विभाग द्वारा भी ऐसी ही सिफारिश की गई थी ।और माननीय न्यायालय द्वारा भी इसे रोकने की बात को नही माना गया ।
जोशी ने ज्ञापन में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का अनुसरण करते हुए गुणवत्ता युक्त शिक्षण हेतु शिक्षा सेवा नियम 2024 पर पुनः विचार कर छात्रो और अध्यापको के साथ न्याय करे ।