टुडे राजस्थान न्यूज़ ( अज़ीज़ भुट्टा )
बीकानेर 25 दिसंबर। श्री जुबिली नागरी भण्डार पाठक मंच बीकानेर की तरफ से नगर की प्रसिद्ध ओजस्वी वरिष्ठ कवयित्री प्रमिला गंगल एवं संगीत जगत के महान कलाकार रफ़ीक़ सागर के निधन पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन स्थानीय महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी श्री जुबिली नागरी भण्डार ट्रस्ट में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम संयोजक क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि स्वर्गीय प्रमिला गंगल और रफ़ीक़ सागर की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में नगर के साहित्य, कला,संगीत एवं अनेक क्षेत्रों के महानुभावों द्वारा इन दोनों महान शख़्सियतों को पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि के रूप में श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
दोनों शख़्सियतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री जुबिली नागरी भण्डार पाठक मंच के नंदकिशोर सोलंकी ने कहा कि प्रमिला जी और रफ़ीक़ सागर दोनों ही साहित्य एवं कला जगत के रतन थे। प्रमिला जी जहां राष्ट्रीयता से ओतप्रोत जुझारू व्यक्तित्व की धनी साहसिक महिला थी। उनकी कविताओं में दबंगता से कटु सत्य उजागर होता था। वहीं प्रसिद्ध संगीतकार रफ़ीक़ सागर ने बीकानेर का नाम देश-विदेश में रोशन किया। ये दोनों शख़्सियतें बीकानेर और नागरी भण्डार की धरोहर थीं।
कार्यक्रम समन्वयक कमल रंगा ने अपनी आत्मिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रमिला जी से उनके परिवार के पारिवारिक रिश्ते थे। वे शिक्षा, साहित्य एवं अध्यात्म की त्रिवेणी थी। मेरी नज़र में वह ओज की पूरे देश की चुनिंदा कवयित्रियों में से एक थी।
वहीं रफ़ीक़ सागर बेहतरीन सुर-साधक थे जो अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर देते थे।
युवा साहित्यकार संजय पुरोहित ने बताया कि प्रमिला गंगल 6 दशकों से निरंतर उत्कृष्ट सृजन कर रही थी।स्वर्गीय गंगल अपनी ओजस्वी कविताओं से श्रोताओं में जोश का संचार कर देती थी और कार्यक्रम में समां बांध देती थी। वहीं रफ़ीक़ सागर ने संगीत के क्षेत्र में बीकानेर का नाम पूरे देश में रोशन कर दिया था।
कार्यक्रम संयोजक क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि प्रमिला गंगल स्पष्टवादी एवं सच्चाई की हिमायत करने वाली एक ऐसी कवयित्री थी जिनकी राष्ट्रीयता के भाव से ओतप्रोत कविताएं सुनकर श्रोताओं में राष्ट्र प्रेम की भावनाओं का संचार हो जाता था। पूरे देश के काव्य क्षेत्र में उनकी सबसे अलग पहचान थी। इसी तरह रफ़ीक़ सागर ‘सपने में सखी देख्यो नंद गोपाल’ गीत की वजह से देश-विदेश तक प्रसिद्ध थे।
वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि प्रमिला जी ओज की प्रसिद्ध कवयित्री थी जो सभी से समान रूप से स्नेह करती थी। वहीं रफ़ीक़ सागर साहब क़ौमी एकता के प्रतीक फ़नकार थे।
कार्यक्रम समन्वयक बुनियाद हुसैन ज़हीन ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में नेमचंद गहलोत, एडवोकेट इसरार हसन कादरी, डॉ.नमामि शंकर आचार्य, प्रफुल्ल गंगल, शुभ्रा अग्रवाल, गिरिराज पारीक, गायक डॉ. सुरेंद्रनाथ, गायक डॉ. कृष्ण परिहार, गायक दिलीप तेजी, निर्देशक प्रदीप मारू, प्रोडक्शन कंट्रोलर मुख़्तियार अहमद बाबा ख़ान, कवि जुगल किशोर पुरोहित, कवि शमीम अहमद शमीम, मधुरिमा सिंह, योगेंद्र पुरोहित, घनश्याम सिंह, आत्माराम भाटी, अब्दुल शकूर सिसोदिया, श्रीमती सुधा आचार्य, इंद्रा व्यास, हरिकृष्ण व्यास, डॉ. मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान धर्मेंद्र राठौड़ धनंजय ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि एवं भावांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा के अंत में 2 मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय प्रमिला गंगल एवं रफ़ीक़ सागर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्रद्धांजलि सभा में गिरिराज खैरीवाल, प्रेम रतन सेन, लोकेश कुमार मोदी, कमल सेन, गोपाल गौतम, छगन सिंह सहित अनेक साहित्यकार एवं कला प्रेमी उपस्थित थे। श्रद्धांजलि सभा का संचालन शाइर क़ासिम बीकानेरी ने किया।