रंजन करने वाली श्रुति ही कथारंग है – डॉ.चारण
टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
कथारंग की लोक पर आधारित साहित्य वार्षिकी का लोकार्पण
रंजन करने वाली श्रुति ही कथारंग है : डॉ.चारण
बीकानेर, 21 अप्रैल। बीकानेर के गायत्री प्रकाशन से प्रकाशित साहित्य वार्षिकी ‘कथारंग’ का लोकार्पण रविवार को बीकानेर जिला उद्योग संघ सभागार में कवि-आलोचक व चिंतक डॉ.अर्जुनदेव चारण और वरिष्ठ रंगकर्मी पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने किया। लेखक व पत्रकार हरीश बी. शर्मा द्वारा संपादित लोक पर आधारित 780 पृष्ठों की इस साहित्य वार्षिकी में देश के 200 से अधिक लेखकों की रचनाएं हैं।
पारायण फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह में कवि-आलोचक व चिंतक डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि भारतीय ज्ञान-परंपरा श्रुति की परंपरा है।

जो श्रुति आपका रंजन करे, वह कथारंग है। कथारंग का लोक पर आधारित अंक इस समय में न सिर्फ साहित्य बल्कि समाज की भी जरूरत है, क्योंकि जो कुछ छूटता जा रहा है, उसे पाने के लिए लोक से प्रामाणिक कोई दूसरा मार्ग नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सौ साल में पाश्चात्य शिक्षा पद्धत्ति ने हमें हमारी ज्ञान-परंपरा से काट दिया। इस वजह से लोक भी चेतना से छूटता चला गया। अनेक विषयों पर हमने बात करनी बंद कर दी, जिससे हमारे कई शब्दों के अर्थ भी हमसे छूट गये। उन्होंने कहा कि लोक का अर्थ उजास है, लोक में व्यक्ति अकेला नहीं होता, लोक सीखने के लिए प्रेरित करता है।

वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि साहित्य को जन तक पहुंचाने के लिए शुरू किये गए हमारे अभियान ने जिस तरह से गति पकड़ी है, हमें संतोष है कि आने वाले दिनों में एक ऐसी पीढ़ी तैयार होगी जिसे साहित्य में रुचि होगी। उन्होंने कहा कि साहित्य मानवीय संवेदनाओं का सूक्ष्म अन्वेषण है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति किताब से जुड़ता है तो वह स्वाभाविक रूप से मानवीय होता है। कथारंग के लोक पर आधारित अंक के लिए उन्होंने कहा कि यह अंक लोक की सामान्य जानकारियां तो देता ही है, अगर कोई हमारे लोक पर अध्ययन करना चाहे तो इस अंक में प्रचुर सामग्री उपलब्ध है।

कथारंग के संपादक लेखक-पत्रकार हरीश बी. शर्मा ने कहा कि हमारा लोक पश्चिम का फोक नहीं है बल्कि यह भारतीय समाज का वह अलिखित संविधान है, जिसने युगों तक समाज को राह दिखाई है। शर्मा ने कहा कि कथारंग के माध्यम से देश के लोक को सहेजने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह ऐसा विषय है, जिसे एक अंक में सहेजा नहीं जा सकता। इसलिए कथारंग के आगामी अंकों में लोक विषय पर हर बार विशिष्ट जानकारी होगी।
इस अवसर पर कथारंग साहित्य वार्षिकी के लोकार्पित अंक पर चर्चा और बीकानेर की साहित्यिक परंपरा पर एक चर्चा का नवाचार शायर व कवि इरशाद अज़ीज़ व कवि व पत्रकार संजय आचार्य ‘वरुण’ ने किया, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा।

प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन देते हुए पत्रकार धीरेंद्र आचार्य ने कहा कि बीकानेर की जमीन ऐसे कार्यों को लिए काफी उर्वर है, बीकानेर की परंपरा में यह अध्याय एक उपलब्धि है। आभार स्वीकार करते हुए वास्तुविद आर.के.सुतार ने कहा कि कथारंग की इस सफलता के लिए समूचा बीकानेर बधाई का पात्र है और वाकई यही आभार है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए शायर-नाटककार व अंक-अंग शास्त्री डॉ.कुमार गणेश ने कथारंग की यात्रा को एक परंपरा बताते हुए कहा कि यह एक भागीरथी प्र्रयास है, जिससे पूरे देश में साहित्य की गंगा प्रवाहित हो रही है। उन्होंने बताया कि कथारंग का यह अंक श्रीमती कुसुमलता शर्मा, कंचनलता शर्मा और नंदादेवी शर्मा को समर्पित है। समर्पित अंक कदम कुमार-गायत्री शर्मा, प्रवीण कुमार-मीनाक्षी शर्मा, चंद्रांशु-गायत्री शर्मा व भवानीशंकर भोजक को हरीश बी.शर्मा-गायत्री शर्मा ने भेंट किये।
इस अवसर पर मनमोहन कल्याणी, गौरीशंकर आचार्य, श्यामसुंदर व्यास, आशीष पुरोहित, विकास शर्मा आदि का कथारंग प्रकाशन में सहयोग के लिए सम्मान किया गया।

कार्यक्रम में दीपचंद सांखला, डॉ.उमाकांत गुप्त, कमल रंगा, राजेश विद्रोही, हरिमोहन सारस्वत ‘रुंख’, अनिरुद्ध उमट, बुलाकी शर्मा, डॉ.अजय जोशी, नवनीत पांडे, बृजमोहन रामावत, संजय पुरोहित, अमित गोस्वामी, असित गोस्वामी, राजूराम बिजारणिया, तुलसीराम चौरडिय़ा, गौरीशंकर प्रजापत, राजाराम स्वर्णकार, राजेंद्र स्वर्णकार, त्रिलोक कुमार जैन, राजेश रंगा, जेठमल सुथार, विशाल भारद्वाज, बिट्ठल बिस्सा, प्रमोद आचार्य, रमेश बिस्सा, बाबूलाल छंगाणी, अशफाक कादरी, विजय लक्ष्मी आचार्य, डॉ.चेतना आचार्य, डॉ.चंचला पाठक, मनीषा आर्य सोनी, रेणुका व्यास नीलम, डॉ.सीमा भाटी, ऋतु शर्मा, ज्योति स्वामी,राजश्री मांकड़, सोनाली सुथार, मनस्विनी सोनी, भगवती सोनी, नगेंद्र नारायण किराड़ू, अशोक सोनी, गिरिराज पारीक, उदय व्यास, नदीम अहमद नदीम, इमरोज नदीम, अरमान नदीम, नितिन माथुर, नमामीशंकर आचार्य, योगेंद्र पुरोहित, प्रदीप भटनागर, आत्माराम भाटी, पेंटर धर्मा, अशोक जोशी, विपिन पुरोहित, रमेश शर्मा, विजय सिंह राठौड़, भरत राजपुरोहित, रोहित बोड़ा, सुनील गज्जाणी, विक्रमसिंह हरासर, अशोक धारणिया, कुणाल रतन, भंवर पुरोहित, रोहित शर्मा, सुमित शर्मा, नरसिंह सेवग, आर.के.शर्मा, बजरंगलाल सेवक ‘मास्टरजी’, मनमोहन शर्मा, शंकर सेवक, प्रसन्न कुमार, महावीर भोजक, गौरीशंकर शर्मा, कमलनाराण आचार्य, दशरथ रामावत, संजय स्वामी, गिरिश पुरोहित, गिरिराज खैरीवाल, योगेश राजस्थानी, आनंद पुरोहित ‘मस्ताना’, गोपाल पुरोहित, अमित व्यास, श्रीकांत व्यास, अभिषेक आचार्य, युग आचार्य, सुरेश व्यास, अखिलानंद पाठक, के.के. शर्मा, इसरार हसन कादरी, मनीष कुमार जोशी, शिवशंकर व्यास, रफीक राजा, राजेंद्र छंगाणी, सुनीलम पुरोहित, राजा सांखी, राजेश के ओझा, कमल श्रीमाली, मनोज व्यास, भानुप्रताप भोजक, हितेंद्र व्यास आदि गणमान्यजन उपस्थित रहे।