कहानी संवेदना के प्रखर रूप को प्रगट करने का उपक्रम है-डॉ. गुप्त

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टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )

कहानी संवेदना के प्रखर रूप को प्रगट करने का उपक्रम है-डॉ. गुप्त

क़ासिम बीकानेरी की कहानियां सामाजिक सरोकार एवं संवेदना का दस्तावेज है-कमल रंगा

बीकानेर 23 जून। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपने गत साढे़ चार दशकों की सृजनात्मक एवं रचनात्मक यात्रा में नव पहल व नवाचार के तहत इस बार ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम जो कि पुस्तक संस्कृति को समर्पित रहेगा का आगाज़ स्थानीय नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में किया गया।
संस्था के प्रतिनिधि वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने बताया कि पुस्तकालोचन कार्यक्रम की पहली कड़ी नगर के वरिष्ठ शायर एवं कहानीकार क़ासिम बीकानेरी के हिन्दी कहानी संग्रह ‘दादाजी की साइकल’ से प्रारंभ हुआ।
उक्त आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक कमल रंगा ने कहा कि क़ासिम बीकानेरी की कहानियां सामाजिक सरोकारों एवं संवेदना का दस्तावेज है। इन कहानियों के माध्यम से क़ासिम विभिन्न कथा वस्तुओं के तालमेल, चित्रात्मक प्रस्तुति एवं देश, काल, वातावरण का जीवन्त वर्णन सहज भाषा और संवाद के जरिए करते हुए पाठक से अपना एक रागात्मक रिश्ता जोड़ते हैं।


रंगा ने आगे कहा कि पुस्तकालोचन आयोजन के माध्यम से बीकानेर की साहित्यिक कृतियों पर विस्तृत आलोचना होना नव पहल तो है ही साथ ही इसके माध्यम से पुस्तक आलोचना की कमी को भी पूरा करने का प्रयास संस्था एवं आयोजकों द्वारा करना एक अच्छी पहल है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि कहानी घटनात्मक होते हुए संवेदना के प्रखर रूप को प्रगट करने का उपक्रम है। और इसके लिए रचनाकार को द्वन्द से मुठभेड़ करनी होती है। तभी कहानी का रचाव अपने मुकमल स्तर पर होता है। क़ासिम बीकानेरी के कहानी संग्रह की अधिकतर कहानियां उनकी इस रचना प्रक्रिया से होते हुए पाठक से कई सवाल-जवाब करती है। यही रचनाकार की असली सफलता है।
डॉ. गुप्त ने आगे कहा कि पुस्तकालोचन अपने आप में अनूठा महत्वपूर्ण आयोजन है। जिसके माध्यम से आलोचना विधा को बल मिलेगा। साथ ही संस्था के ऐसे सृजनात्मक प्रयासों से नगर की साहित्यिक परंपरा को और समृद्ध करने के लिए प्रज्ञालय साधुवाद का पात्र है।
सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूख चौहान ने प्रज्ञालय के नव आयोजन पुस्तकालोचन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे आयोजन के माध्यम से रचनाकार एवं रचना के अलावा पुस्तक संस्कृति को एक नव संबल मिलेगा।
प्रारंभ में वरिष्ठ कहानीकार, कवयित्री डॉ. कृष्णा आचार्य ने अपनी गंभीर आलोचनात्मक दृष्टि के साथ बतौर मुख्य वक्ता इस पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए कहा कि कासिम बीकानेरी की कहानियां मानवीय संवेदना को पुनः सृजित करती कहानियां हैं। इन कहानियों के माध्यम से वर्तमान दौर की समस्याएं, विसंगतियों, बदलावों, धर्म व जाति के नाम पर हो रहे अलगावों आदि को रेखांकित करती है, जो एक सार्थक पहल है।
इस अवसर पर रचनाकार क़ासिम बीकानेरी ने अपनी रचना प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि पुस्तकालोचन की पहली कड़ी में दादाजी की साइकल पर चर्चा होने पर प्रज्ञालय संस्था का साधुवाद साथ ही कमल रंगा के नेतृत्व मे होने वाले नवाचारों के माध्यम से नए रचनाकारों को अवसर तो मिलता ही है, इसके अलावा साहित्य और भाषा के समन्वय को भी बल मिलता है।
पुस्तकालोचन के महत्वपूर्ण आयोजन मंे कवि गिरीराज पारीक, डॉ. नृसिंह बिन्नाणी, डॉ. अजय जोशी, बाबुलाल छंगाणी, विप्लव व्यास, डॉ. फारूख चौहान, जाकिर हुसैन, एड. इसरार हसन कादरी, एड. गंगाबिशन बिश्नोई, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, रामेश्वर साधक, गोपाल कुमार कंुठित, महेन्द्र जोशी, जुगल किशोर पुरोहित, तोलाराम सारण, अख्तर, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, नवनीत व्यास, आयुष अग्रवाल, डॉ. पुष्पा शर्मा, ऋषि कुमार शर्मा, फिल्म निर्देशक अनिल अलंकार, प्रमोद कोचर, मोनू राजपुरोहित, महेश उपाध्याय, ज़ब्बार ज़ज्बी की भी सकारात्मक सहभागिता रही। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया। अंत में सभी का आभार डॉ. नृसिह बिन्नाणी ने ज्ञापित किया।

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