टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
नशा मुक्ति दिवस विशेष —
नशा मुक्ति में योग की अहम भूमिका- डॉ शेषमा
बीकानेर 27 जून । वर्तमान मे युवा पीढ़ी जिस तेजी से विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों के व्यसन की तरफ बढ़ रही है यह भविष्य के लिए ठीक नहीं है, यह अत्यंत चिंतनीय विषय है कि इस गंभीर स्थिति से समाज को कैसे बचाया जाए; समय रहते हमे इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है | योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अधिकारी डॉ संतोष शेषमा ने बताया कि योग चिकित्सा के माध्यम से नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि तनाव व चिंता नशे के लिए मुख्य ट्रिगर होते है और योग एवं प्राणायाम का नियमित अभ्यास तनाव और चिंता की सबसे प्रभावी चिकित्सा है ऐसे में योग एवं प्राणायाम के माध्यम से हम ना केवल नशे के आदि मरीजों की चिकित्सा कर सकते है बल्कि किशोर एवं युवावस्था में इस व्यसन के प्रति बढ़ती प्रवृत्ति को भी कम कर सकते है |

शशांक आसन, बालासन, मकरासन , शवासन के अलावा नाड़ी- शोधन प्राणायम/ अनुलोम- विलोम , भ्रामरी, भस्त्रिका, ओम उच्चारण, आदि प्राणयाम तथा ध्यान एवं योग निद्रा हमारे मस्तिष्क में सकारात्मकता का संचार करते है , इसके साथ ही तनाव हार्मोन कॉर्टीसोल का स्तर कम करते है एवं सिरेटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन के स्तर बढ़ाने में सहायक होने के कारण तनाव , चिंता एवं अवसाद को कम करने में अत्यंत प्रभावी है | तनाव और अवसाद को नियंत्रित करने के पश्चात् ही मरीज को इस व्यसन से मुक्त करना सम्भव है, इसलिए हमे ऐसे प्रभावी प्रयास करने होंगे कि जो लोग इस व्यसन में जकड़ चुके है उनको योग चिकित्सा उपलब्ध करवाया जाए साथ ही विद्यालयों, महाविद्यालयों, बड़े कोचिंग संस्थान, बड़ी बड़ी कंपनियां जहां प्रतिस्पर्धा एवं टार्गेट का दबाव तनाव और अवसाद को जन्म देता है और इस व्यसन का प्रवेश द्वार बने हुए है | इन सभी संस्थानों में नियमित योग सत्र की शुरुआत करना आज की आवश्यकता है ताकि युवाओ को तनाव मुक्त रखते हुए नशे की प्रवृत्ति को कम किया जा सके, इसके अलावा सभी नशा मुक्ति केंद्र पर प्रभावी मॉनीटरिंग के साथ योग सत्र शुरू करने चाहिए ताकि बेहतर परीणाम हासिल करते हुए स्वस्थ समाज एवं स्वस्थ राष्ट्र की संकल्पना मज़बूत हो सके |
