बीकानेर, 19 मार्च। गुलाल,केमिकल,पानी से तो आपने होली खेलते हुए सुना है। कभी बालू रेत से होली खेलने की परम्परा के बारे में सुना है। नहीं ना,लेकिन बीकानेर में ऐसा होता है। बीकानेर का कीकाणी व्यासों के चौक में होली की शुरूआत बालू रेत से होती है। ऐसी होली दशकों से खेली जा रही है।मोहल्ला निवासी ब्रजेश्वर लाल व्यास के अनुसार धुलंडी के दिन सुबह 6 बजे से 9 बजे तक रेत की होली का आयोजन होता है। इसमें मोहल्ले के बच्चों से बुजुर्ग तक शामिल होते है। आपसी प्रेम सौहार्द के रूप में खेली जाने वाली इस होली में एक दूसरे को बालू रेत से सराबोर कर होली खेली जाती है। होली खेलने के दौरान जब कोई मोहल्लावासी यहां पहुंचता है मौजूद लोग उसे बालू रेत से होली खेलाते है। रेत होली के लिए पहले ऊंट गाड़ा के माध्यम से रेत आती थी। वर्तमान में ट्रेक्टर ट्रॉलियों के माध्यम से रेत मंगवाई जाती है,मोहल्लेवासी प्रेम सौहार्द के रूप में इस होली को खेलते है।धुलंडी के दिन कीकाणी व्यास चौक में दशको से खेली जा रही रेत होली के लिए पहले ऊंट गाड़ा के माध्यम से रेत आती थी। व्यास के अनुसार वर्तमान में ट्रेक्टर ट्रॉलियों के माध्यम से रेत मंगवाई जाती है, जिससे रेत होली खेली जाती है। कीकाणी व्यास पंचायती सम्पति ट्रस्ट की ओर से इसकी व्यवस्था की जाती है।