बीकानेर, 20 मार्च। सुयोग्य वर व मंगलमय जीवन की कामना को लेकर कुआंरी कन्याओं व विवाहितों ने गीतों के साथ शुक्रवार से 18 दिवसीय गणगौर पूजन का अनुष्ठान के साथ गणगौर- ईसर तथा भाइया की काष्ट की प्रतिमाओं को सजाने संवारने का कार्य श्रद्धा भाव से शुरू कर दिया। गीतों के साथ गणगौर पूजन में बालिकाओं का सहयोग व मार्गदर्शन घर.परिवार की बड़ी बुर्जुग महिलाएं कर रही है।
भुजिया बाजार के पास के मथैरण चैक ने गणगौर बाजार का रूप ले लिया। वहीं बड़ा बाजार, कोटगेट तोलियासर भैरव गली, जस्सूसर गेट ,गंगाशहर व विश्वकर्मा गेट के बाहर ईश्वर आर्ट गैलरी कालीजी के मंदिर के पास सहित अनेक स्थानों पर गणगौर की प्रतिमाओं उनके वस्त्रों और गहनों की बिक्री की जा रही है। करोना के कारण दो वर्षों से गणगौर पूजन को प्रतीक रूप् में करने वाली बालिकाएं व महिलाएं इस बार पूर्ण मनोयोग व उत्साह से गणगौर का पूजन कर रही है।
घर.परिवार व आस पड़ौस की बालिकाएं स्नान.ध्यान कर समूह में घरों की छत पर विभिन्न तरह की सफेद मिट्टी की आकृृति बनाकर उस पर मिट्टी के पालसिएं में रखी होली की राख की पिण्डोलियां बनाकर पूजन कर रही है। परम्परिक गीतों के साथ फिल्मी व राजस्थानी गीतों की तर्जों पर आधारित व आपस में हंसी ठिठोली के भी गीत गा रही है। दम्माणी चौक में रहने वाली श्रुति, ईशा ,मिताली, अक्षरा ,बरसा, लीली, नीली व वंशिका पुरोहित सागरवाला ने बताया कि इस बार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व अन्य परीक्षाओं के नहीं होने से भी वे पढ़ाई की चिंता को छोड़कर देवी गौरी के गणगौर का पूजन श्रद्धा भाव से कर रही है। उन्होंने बताया कि पूजन के बाद जस्सोलाई के व्यास पार्क सहित अनेक मंदिरों में नियमित दर्शन कर रही है। शीतला सप्तमी व अष्टमी से गणगौर का तीन समय पूजन भोग का अनुष्ठान शुरू हो जाएगी। शहरी व ग्रामीण इलाकों में कई जगह शाम को महिलाएं एकत्रित होकर भी गणगौर के गीतों को गा रही है। बारह गुवाड़ क्षेत्र के कई पुरुषों की मंडलियां भी गणगौर गीतों को घरों में जाकर गाना शुरू कर दिया है ।