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बीकानेर, 11 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की मनोहरश्रीजी म.सा की शुशिष्या साध्वीश्री मृगावतीश्रीजी म.सा. ने सोमवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में प्रवचन में कहा कि मद को छोड़कर प्राणी मात्र की रक्षा एवं मदद के भाव रखें। अशुद्ध विचार,व्यवहार व कार्य से बचें।
उन्होंने कहा कि अहंकार या मद से पतन व दुःख मिलता है वहीं दूसरों की मदद करने से उत्थान होता है तथा सुख मिलता है। सबके सुख में सुखी व दूसरों के दुःख में दुःख, दर्द और पीड़ा को महूसस करने वाला ही मददगार बन सकता है। उन्होंने गीत के एक मुखड़े ’’वो धन किस काम का जिसमें शांति का संचार नहीं’’ सुनाते हुए कहा कि जीवन में उदारता, दया, कोमलता व कृतज्ञता, निष्काम सेवा व भक्ति के बिना शांति नहीं मिलती। साधन, सुविधा व सम्पन्नता के बावजूद अहंकारी व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता।
उन्होंने कहा कि निष्काम भाव से पीड़ित,शोषित व अपने से कमजोर प्राणी की मदद करने वाले की परमात्मा मदद करते है वहीं धन, मान, माया व अहंकार से वशीभूत होकर दूसरों को दुःख, तकलीफ देने वाले भौतिक रूप से भले ही सुखी दिखते हो लेकिन आत्मिक रूप् से सुखी नहीं हो सकते । उन्होंने कहा कि व्यक्ति दूसरों के कार्य, व्यवहार, धन व सम्पति को देखता है अपने आपको देखता है, अपने आपको नहीं । अपने आपको समझें, देखें बिना आत्म कल्याण नहीं होता।
पूर्व में साध्वीश्री नित्योदया म.सा. ने एक कहानी के माध्यम से बताया कि अहंकार व इंद्रियों के वशीभूत, इंद्रियों के सुख में लवलीन प्राणी अपने जीवन को बर्बाद कर देता है। इंद्रियों व विषय वासना में लिप्त मनुष्य की प्रवृति व बुरी आदतों का असर लम्बे समय तक रहता है। उसका भविष्य बिगड़ता है। उत्तम भविष्य बनाना व्यक्ति के हाथ में है। वह पाप कर्म से बचकर, आत्म व परमात्मा का ध्यान कर, देव, गुरु व धर्म की आज्ञा के अनुसार जीवन जीकर भविष्य को उज्जवल बना सकता है। अच्छे विचार व शुभ भाव रखने वाला मोक्ष के मार्ग पर चल सकता है वहीं बुरे भाव व विचारवाला, अहंकारी व्यक्ति नरकगामी होता है।
सौभाग्य कल्पवृक्ष साधना 15 से
साध्वीवृंद के सान्निध्य में 13 जुलाई को चातुर्मासिक प्रवचन व धर्म,ध्यान, जप, तप,साधना आराधना के कार्यक्रम शुरू होंगे। आयम्बिल, एकासना, बयासना, बेला, तेळा,अट््ठाई व मासखमण और सौभाग्य कल्पवृक्ष की तपस्या व साधना, भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ के मंत्र का जाप का अनुष्ठान शुरू होगा। सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक निर्मल पारख ने बताया कि सौभाग्य कल्पवृक्ष की मनोहारी, कल्याणकारी तपस्या 15 जुलाई से शुरू होगी। तपस्या के दौरान श्रावक श्राविका को एक दिन उपवास व एक बयासना करना होगा। शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के सवा सौ करोड़ मंत्र के जाप की भावना है।