टुडे राजस्थान न्यूज़
बीकानेर 17 अगस्त । माहिर बीकानेरी सिर्फ एक शायर का नाम नहीं है बल्कि बीकानेर में रियासत काल में सेशन जज रहे मोहम्मद अब्दुल्ला बेदिल जो नामचीन शायर भी थे उनकी शेअर ओ अदब की सुदीर्घ परंपरा के वाहक भी है। शायरी इनको विरासत में मिली है । इनके पिता मोहम्मद अयूब सालिक भी शिक्षक और शायर थे । सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करती इनकी रचनाएं जहां एक और श्रोता को चिंतन पर मजबूर करती है वही देश भक्ति पूर्ण रचनाओं से तेजस्वी माहौल भी बना देते हैं । यह कहना था राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला का जो राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा अखिल भारतीय मुशायरे में रवींद्र रंगमंच पर गुलाम मोहिउद्दीन माहिर की किताब “सातवें आसमान का मंजर” का विमोचन कर रहे थे ।
मशहूर और वरिष्ठ शायर शीन काफ निजाम ने गुलाम मोहिउद्दीन माहिर की ग़ज़लों पर बात करते हुए कहा कि माहिर एक संजीदा शायर है जो जिम्मेदारी अदबी तकाज़ो को पूरा करते हैं ।सातवें आसमान का मंजर का प्रकाशन राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर द्वारा किया गया है ।अकादमी सचिव मोज़्जम अली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए माहिर बीकानेरी का परिचय दिया ।इस अवसर पर बीकानेर का प्रतिनिधित्व करती आवाम के साथ नदीम अहमद नदीम संजय पुरोहित ,इमरोज नदीम, शमशाद अली मोहम्मद शाकिर अज़ीज़ भी मौजूद थे ।