28 जनो ने मरणोपरांत अंगदान व देहदान की ली शपथ

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अंगदान-जीवनदान – जीवनदान-महादान विषय पर बीकानेर सम्भाग में विशाल संगोष्ठी का आयोजन

बीकानेर 21 अगस्त। रोटरी क्लब ऑफ बीकानेर मरूधरा एवम बीकानेर शहर की अन्य बहु प्रतिष्ठित समाज सेवी संस्था सर्व मानव कल्याण समिति बीकानेर एवम इनर व्हील क्लब बीकानेर के साथ सयुंक्त रूप से देहदान तथा अंगदान विषय पर जनजागृति के साथ एक विशाल सामूहिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. राकेश रावत ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुये रोटरी सभागार में मौजूद आमजन को देहदान व अंगदान के बारे में अतिमहत्वपूर्ण जानकारी दी।

संगोष्ठी समन्वयक इनरव्हील सदस्या अलका स्वामी ने जानकरी देते हुये बताया की कार्यक्रम में विशेष वक्ता के रूप में किशोर सिंह राजपुरोहित, अनिरुद्ध उमेठ, डॉ राकेश मणि, व रोटरी प्रान्तपाल राजेश चुरा ने अपने व्यक्तव्य में अंगदान देहदान को लेकर आमजन व पारिवारिक माहौल में बनी भ्रांतियों को दूर रखने हेतु प्रेरित किया। सभा मे पूर्व में अंगदान व देहदान की शपथ लेने वाले दानदाताओ का सम्मान किया गया एवम रोटरी मरूधरा, इनरव्हील व मानव कल्याण समिति के सदस्यों ने सभागार में अंगदान देहदान की विधिवत रूप से पारिवारिक सहमति से शपथ ली व संस्थागत जारी फॉर्म पर अपने हस्ताक्षर किया।

शपथ लेने वालो में देहदान अंगदान की शपथ लेने वालो में डॉ अंबुज गुप्ता, इति गुप्ता, कैलाश कुमावत,एड. पुनीत हर्ष, शिवेंद्र दाधीच, डा मुकेश बेरवाल, अनिल भंडारी, शालिनी भंडारी, दिलीप भाई पारेख, वंदना पारेख, शीतल प्रकाश, लवलिश देवगन, सीमा देवगन, अविनाश पाठक, ज्योत्सना पाठक, मोनिका चौधरी, सुनील न्योल, डा दीपक ऊभा, डा अरुण तुनगारिया, साधना अग्रवाल, अलका भाटिया, उपासना भाटिया, कुलवंत कौर, जसपाल सिंह, सुधीर भल्ला, ओम प्रकाश कपूरिया, कविता बरडिया, नम्रता दाधीच, अलका स्वामी कुल 28 जनो ने शपथ ली।

संगोष्ठी संयोजक डॉ. अम्बुज गुप्ता ने बताया कि आज बीकानेर ही नही वरन पूरे देश को अच्छे चिकित्सकों की आवश्यकता है और चिकित्सा अध्ययन में बॉडीज की कमी बहुत आड़े आ रही है। इसी तरह बहुत बड़ी संख्या में, अंगों के फेल हो जाने के कारण लोग मृत्यु शैया पर पड़े रहते हैं तो अगर हम अपनी सोच में बदलाव लाएं तो अंग, मृत्यु पश्चात जो हमारे साथ अंतिम प्रक्रिया में समाप्त हो जाते हैं को उन्हें किसी के काम में दे सकें तो हमारा जीवन भी आगे किसी और के साथ चलता रहेगा और जिंदगी देना सबसे बड़ा दान है। संगोष्ठी का विषय सामान्य से बिल्कुल अलग है तथा मानवता से भरपूर है। ईश्वर ने हमें बुद्धिजीवी बनाया है तो आइए हम हमारे इस विवेक का अपनी भावनाओं के साथ सामंजस्य के साथ उपयोग करें।