युवक रत्न राजेन्द्र सेठियां व दलपत लोढा ने दिया युवकों को प्रेरणादायी वक्तव्य
राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रैयाँस कोठारी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ सरदारपुरा परिषद का युवक सम्मेलन
नाम, पद, प्रतिष्ठा व फोटो के मोह से बचने का प्रयास करें – युवक रत्न राजेन्द्र सेठियां
सरदारपुरा / जोधपुर 17 अक्टूबर । तेरापंथ युवक परिषद सरदारपुरा द्वारा मेघराज तातेड़ भवन में युवक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
साध्वी श्री जिनबाला जी के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। उपस्थित युवकों को साध्वी महक प्रभा जी द्वारा प्रेक्षा ध्यान व महाप्राण ध्वनि के प्रयोग कराए गए। तेयुप सरदारपुरा से सुनील जी बेद आदि ने विजय गीत का संगान किया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन सभा अध्यक्ष श्री सुरेश जी जीरावला द्वारा किया गया ।
स्वागत वक्तव्य ते यु प अध्यक्ष महावीर जी चौधरी ने दिया। साध्वी भव्य प्रभा जी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा युवक में हर कार्य करने की क्षमता है, वह अंधकार में प्रकाश की ज्योत जला सकता है, वह निराशा को आशा में बदल सकता है। समय है आत्मा विश्लेषण का, संघ भक्ति, गुरु भक्ति ह्रदय में रहे। साध्वी करुणा प्रभा जी ने अपने वक्तव्य में फरमाया युवकों पर सदैव विशेष दायित्व रहता है, जोधपुर यह धरा नामकरण की धरती है। युवकों के दायित्व की बात होती है, जीवन में दायित्व निर्वाह के लिए 3C महत्वपूर्ण है।
- Challenge – चुनौती स्वीकार करें
- Control – स्वयं पर व जिह्वा पर नियंत्रण रखें
- Co-operate करें, सहयोग की भावना रखें
बल्ब के आविष्कार की बात याद करें एडिसन ने हजारों प्रयास किए पर असफलता से रुके नहीं और 10,000 वा आविष्कार, इस जग को रोशनी दिखाने वाला साबित हुआ।
जयपुर से पधारे मुख्य वक्ता, युवक रत्न, राजस्थान सरकार के उद्योग विभाग के संयुक्त निर्देशक श्री राजेंद्र जी सेठिया ने युवाओं को प्रेरित करते हुए अपने वक्तव्य में कहा युवक वाह-वाह करना सीखें, टांग खींचना छोड़कर, हाथ खींचना शुरू कर दें। युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है पर अगर शान से रहना है तो हम नशा छोड़ देवें।
गुरूदेव का जोधपुर पधारना होना है, यह समय सोये हुए उत्साह को जगाने का समय है। हम श्रावक कार्यकर्ता बने साधक कार्यकर्ता बने और इच्छा आकांक्षा को अल्पीकरण करें।
युवक स्वयं के प्रति दायित्वशील बनें। परिवार को आठवां वार कहा जाता है। परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति स्वयं के दायित्व को समझे। स्वयं के चिंतन से, विचारों और कार्यों से परिवार और राष्ट्र का कर्ज चुकायें। भावी पीढी को केवल धन कमाने की मशीन ना बनायें। हम धर्मसंघ के प्रति हमारा दायित्व समझें, संघ हमारा प्राण है, त्राण है। श्रावक कार्यकर्ता बन नाम, पद, प्रतिष्ठा व फोटो के मोह से बचने का प्रयास करें।
साध्वी श्री जिनबालाजी ने अपने प्रेरणादायी वक्तव्य में फरमाया कि तीन प्रकार की भावनाएं होती है – 1. अधिकार की भावना में सत्ता बोलती है 2. उपेक्षा की भावना में आलस्य बोलता है 3. कर्तव्य की भावना में समर्पण बोलता है। कर्तव्य की भावना में व्यक्ति सबका प्रिय बनता है। हमें दीमक नहीं दीपक बनना है, संध्या नहीं उषा बनना है | अतीत को देखकर फुले नहीं, वर्तमान को पुरुषार्थ के सिंचन से भविष्य को उज्जवल बनाएं। धर्म केवल भाषण का विषय ना बने, जीवन चर्या का अंग हो। दायित्व को भार ना समझें, स्वयं का कार्य समझकर समय का प्रबंधन करें।
समाजसेवी, युवक रत्न श्री दलपत जी लोढ़ा ने युवकों को आह्वान करते हुए कहा दायित्व दिया नहीं जाता, लिया जाता है। आप लक्ष्य बनाएं, उसके लिए जी-जान लगा दे, सफलता दूर नहीं रह सकेगी। लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध रहे। बाधाओ से घबराये नही।
अ.भा.ते.यु.प के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री श्रेयांश जी कोठारी ने कहां युवक चिंतन से युवा बने, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उचित प्रयत्न करते रहे, आगे बढ़ते रहें |
कार्यक्रम का कुशल संचालन संदीप जी पटवारी ने किया। कार्यक्रम का संयोजन नरेंद्र जी कोठारी, सह संयोजन अर्पित कोठारी, पंकज डागा ने किया। कार्यक्रम में 100 से अधिक युवकों सहित कुल 150 से अधिक व्यक्तियों की उपस्थिति रही। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेश जी जीरावला ने भी युवकों को संबोधित किया।