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बीकानेर, 06 दिसम्बर। राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में बीकानेर के दो पहलवानों को अलग-अलग भार वर्ग में दो मेडल मिले हैं। मैडल मिलने पर बीकानेर के खेल संगठनों सहित पहलवानों में खुशी की लहर है। स्टेट कुश्ती स्पर्धा में पहलवान राजेश माचरा ने सिलवर मैडल व परमेश्वर पूनियां ने कांस्य मेडल कई पहलवानों को परास्त कर प्राप्त किएं है। राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता भीलवाड़ा मे आयोजित हुई। कुश्ती सगंम के अध्यक्ष कमल कल्ला, संगम सचिव पहलवान जगन पूनियां, संगम के संरक्षक अरुण कुमार पांडे, मान सिंह सिहाग,मांगेराम पूनियां, प्रदीप कुमार स्वामी,अमर सिंह ट्रॉमा,उपाध्यक्ष पहलवान महेंद्र सिंह चौहान, प्रदीप सिंह, भवानी सिंह समेत संगम के विभिन्न पदाधिकारी एवं पहलवानों ने प्रसन्नता प्रकट करते हुए विजयी पहलवानों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।परकोटे के भीतरी भाग में निवास करने वाले बजरंग व्यायामशाला के पहलवान रामकुमार एवं कृष्ण कुमार बीस्सा ने भी इन पहलवानों को विजय की बधाई प्रेषित की है। पटेल बालविहार व्यायामशाला के पहलवान रामप्रसाद,पालाराम चौधरी, रामप्रताप उर्फ छोटू,लक्ष्मण सारस्वत, सहीराम, रोमन घोड़ेला,नेमपाल चौहान, संवीन लांबा,सामाजिक कार्यकर्ता भूरमल सोनी, लालचंद सोनी,ओम प्रकाश सोनी (नाल), नारायण सिंह भुट्टा एवं अखिल भारतीय पत्रकार प्रेस क्लब श्री डूंगरगढ़ के अध्यक्ष तोलाराम मारू लक्ष्मण सहदेवड़ा आदि ने भी मेडल मिलने पर प्रसंता प्रकट करते हुए बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
इस अवसर पर महावीर कुमार सहदेव ने बताया की पहलवानों मे कुश्ती को लेकर बड़ी रूचि है और लगातार पहलवान खूब मेहनत कर रहे हैं लगातार इंन चार सालों में कुश्ती के क्षेत्र में सैकड़ों मेडल मिले हैं!कुछ मेडल नेशनल स्तर पर ही लगे हैं। कुश्ती से जुड़कर बहुत से युवा आज सरकारी नौकरियों में अपनी रोजी-रोटी भी कमा रहे!आगामी कुश्ती के आयोजन में इन दोनों ही पहलवानों का सम्मान किया जाएगा! सहदेव ने बताया कि 16 वर्ष की आयु में खिलाड़ी को कुश्ती अपने कोच की देख-रेख में शुरू कर देनी चाहिए और साथ ही साथ पढ़ाई भी ताकि वह आगे चलकर भविष्य में कुश्ती के दम पर अपने पैरों पर खड़ा हो सके!सहदेव ने बताया कि 26-27 वर्षों से मैं देख रहा हूं लगातार बीकानेर के पहलवान कुश्ती के क्षेत्र में अच्छे मेडल लाए हैं और उन्हीं मेडलों की वजह से विभिन्न सरकारी महकमों में नौकरियां भी लगी है!हाल ही के दिनों में पटेल बालविहार व्यामशाला के युवा शारीरिक शिक्षक लगे हैं और कुछ युवा पहले पुलिस,फौज एवं शारीरिक शिक्षक भी लगे हुए हैं!बहुत से युवाओं में इस बात का डर रहता है कि हम हार जाएंगे इस अवसर पर मैं बताना चाहूंगा कि हर खिलाड़ी का हार और जीत एक आभूषण की तरह है “हार में ही जीत छुपी हुई होती है” हार का भय निकालकर कुश्ती खेल को अपनाएं और अपने परिवार,कस्बे,शहर समेत देश का नाम रोशन करें और साथ ही साथ इस खेल की बदौलत सरकारी महकमों में नौकरी लग कर अपने घर परिवार की सेवा भी करें!