बीकानेर 19 नवम्बर । शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में हिंदी राजस्थानी की बहुचर्चित कथाकार पूर्णिमा मित्रा के हिंदी कहानी संग्रह “बदलते रिश्ते” का लोकार्पण किया गया । करणीनगर, पवनपुरी में आयोजित कार्यक्रम में नगर की साहित्यिक संस्थाओ द्वारा पूर्णिमा मित्रा का सम्मान किया गया ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार डॉ0 मदन सैनी ने कहा कि सुश्री पूर्णिमा मित्रा की कहानियों में नारी जद्दोजहद के साथ आत्मीय रिश्तों की सुवास है । कार्यक्रम अध्यक्ष व्यंग्यकार डॉ0 अजय जोशी ने कहा कि मित्रा की कहानियां बदलते मानवीय रिश्तों की पड़ताल करती है जो भारतीय हिंदी साहित्य को समृद्ध करेगी । विशिष्ट अतिथि डॉ0 नासिर ज़ैदी ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक की कहानियां मौजूदा समय की संवेदनाओ को प्रकट करती है । संयोजक लेखक अशफ़ाक़ क़ादरी ने कहा कि पुस्तक में कुल 15 कहानियां हैं जो यथार्थ के धरातल पर सच्चाई से ओतप्रोत है । कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अपनी राजस्थानी कविता “मत कर घणा मटरका मूर्ख” सुनाकर मन मोह लिया ।
कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी में पूर्व सचिव नितिन गोयल ने पूर्णिमा की कहानियों की मीमांसा की । कवि बाबूलाल छंगाणी ने अपनी काव्य रचना “मां” से मानवीय रिश्तों को परिभाषित किया । कार्यक्रम में कवि गिरिराज जोशी, ज्योति वधवा ने भी अपने विचार रखे । कार्यक्रम में पुस्तक की रचयिता सुश्री पूर्णिमा ने रचनाकर्म को साझा किया । इस अवसर पर शब्दरँग एवं मरु नवकिरन सृजन संस्थान द्वारा सुश्री पूर्णिमा मित्रा को माल्यार्पण, शॉल, सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया । प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेम नारायण व्यास ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।