भावी पीढ़ी को मोबाइल के दुष्प्रभाव को बताना अत्यंत जरूरी- मुनि चैतन्य कुमार
टुडे राजस्थान न्यूज़
बीकानेर 20 मार्च । संस्कारों के निर्माण में ज्ञानशाला की भूमिका अहम। टेक्नोलॉजी के युग मे मोबाइल के दुष्प्रभाव से बताना अत्यंत जरूरी है इसके लिए बालकों को शिक्षा के साथ संस्कारों का समावेश अपेक्षित है अनुशासन विनम्रता सहिष्णुता की चेतना न जागने का कारण आज के बच्चे जिद्दी गुस्सैल अहंकारी बनते जा रहे हैं ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी एवं प्रशिक्षित को संबोधित करते हुए मुनि श्रेयांश कुमार के सानिध्य में मुनि चैतन्य कुमार “अमन” ने कहा आचार्य तुलसी ने भावी पीढ़ी के निर्माण को लक्ष्य लेकर ज्ञानशाला प्रारंभ की, वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण जी भी इसके लिए बहुत जागरुक है ज्ञानशाला के योग से अनेक बालक बालिकाओं ने अपने जीवन में बहुत विकास किया है ।

व्यक्तित्व कृतित्व एवं नेतृत्व कला का विकास ज्ञानशाला से ही संभव है भारतीय परंपरा में ज्ञान और चरित्र का सदा से महत्व रहा है ज्ञानार्थी राष्ट्र का भविष्य है ज्ञानार्थी का निर्माण एक एक अच्छे नागरिक का निर्माण और अच्छे नागरिकों के निर्माण से अच्छे राष्ट्र का निर्माण हो सकेगा अतः प्रत्येक अभिभावक का यह परम कर्तव्य है कि वे अपने बालकों को सत संस्कारों में डालने के लिए ज्ञानशाला में प्रवेश दिलाएं, इस अवसर पर ज्ञानशाला संयोजिका श्रीमती संजू लालाणी ने मुनिवर के स्वागत में अपने विचार व्यक्त किए ज्ञानशाला का संयोजन श्रीमती सुनीता पुगलिया ने किया, लगभग 250 ज्ञानार्थीओ ने खाना खाते समय टीवी में मोबाइल उपयोग ना करने का संकल्प किया इस अवसर पर मुख्य प्रशिक्षका प्रेम बोथरा, मोहिनी चोपड़ा ,सुनीता पुगलिया, सुनीता से डोसी, श्रेया गुलगुलिया, कनक गोलछा, जयश्री भूरा, रक्षा बोथरा, रुचि छाजेड़ ,शीतल नाहटा ,कुसुम पारख ,भाविका सामसुखा ने ज्ञानार्थी को प्रशिक्षण दिया , इन सभी व्यवस्थाओं में तेयूप कार्यकारिणी सदस्य एवं ज्ञानशाला सह प्रभारी चैतन्य रांका, एवं किशोर मंडल से शोभित सेठिया उपस्थित रहे, देवेंद्र डागा का भी सराहनीय सहयोग रहा।
