रजनी छाबड़ा के कविता संग्रह ‘आस की कूंची से’ का लोकार्पण

0
1063

बीकानेर, 12 दिसंबर। रजनी छाबड़ा की कविताओं में मन के सूक्ष्म भावों और जीवन के अनुभवों को सुंदर ढंग से कविताओं में पिरोया गया है। उक्त उद्गार प्रख्यात वरिष्ठ साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित ने कवयित्री के जयनारायण व्यास कॉलोनी में स्थित आवास पर आयोजित उनके नवीन कविता संग्रह ‘आस की कूंची से’ के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किए। कार्यक्रम के अध्यक्ष राजपुरोहित ने कहा कि पुस्तक को इंडिया नेटबुक ने बड़े सुंदर ढंग से साज-सज्जा के साथ प्रकाशित किया है। विशिष्ट अतिथि व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि स्त्री मन को खुलकर अभिव्यक्त करती रजनी छाबड़ा की कविताओं की भाषा सरल-सहज होने के साथ ही शिल्प उल्लेखनीय है। मुख्य अतिथि कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि इस संग्रह की कविताएं कोरोना काल के प्रभाव को लिए रजनी छाबड़ा के पूर्ववर्ती काव्य संग्रहों से आगे की कविताएं हैं। कविता संग्रह पर अपनी बात कहते हुए कवि नवनीत पाण्डे ने कहा कि ‘आस की कूंची से’ की कविताओं में निराशा भरे माहौल के बीच आस और उम्मीद की मनःस्थितियों में स्त्री मन का संघर्ष उल्लेखनीय है।

लोकार्पण कार्यक्रम में कवयित्री और अनुवादिका रजनी छाबना ने कविता-संग्रह से चयनित कविताएं प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए कहा कि मैं कविताएं इसलिए नहीं लिखती कि मुझे कविताएं लिखनी है, मेरे लिए कविताओं का आना एक सहज घटनाक्रम है जो अनायस ही कभी कभी घटित होता है और मैं उनको कागज पर उतार लेती हूं। कार्यक्रम का संचालन मोहनसिंह राजपुरोहित ने किया तथा आभार अमित राजपुरोहित ने व्यक्त किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here