टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
गंगाशहर , 28 दिसंबर । ज्ञानशाला प्रशिक्षण शिविर के अन्तर्गत त्रिदिवसीय शिविर का समापन मुनि श्री श्रेयांश कुमार जी के सानिध्य में हुआ।इस अवसर पर शिविर निर्देशक मुनिश्री चैतन्यकुमार अमन ने अपने सम्बोधन में कहा- किशोर अवस्था से जवानी तक बच्चों के बिगड़ने का समय होता है। जिन बालकों को इस अवस्था के दौरान अच्छे संस्कारों का योग मिल जाता है, वे संस्कारी बालक बन जाते हैं। अन्यथा बिगड़ने में देर नही लगती। बच्चों के बिगड़ने में धन, सत्ता, सम्पति मुख्य कारण बनते है। अविवेक और अज्ञान भी बच्चों के बिगड़ने में कारण बनते हैं। जो बच्चे आरंभ से ही साधु-सन्तों के सम्पर्क में रहते है। उन्हें अच्छे संस्कारो का योग मिलता है जिससे वे उन बदचलन आदतों से बच जाते हैं।
मुनि अमन ने आगे कहा- जिस देश में धर्म की गंगा बहती है, ऋषि, महर्षि रहते है। उस समाज और राष्ट्र में संस्कारों की पौध पल्लवित और पुष्यित होती है। सरकारों की सुगंध से समाज सुरक्षित रहता है किन्तु केवल स्कूली शिक्षा बच्चो का निर्माण नहीं कर सकती है शिक्षा और संस्कारों के युगपत योग से अच्छे परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण संभव है। अतः प्रत्येक अभिभावक बच्चों की शिक्षा के साथ संस्कारों पर सलक्ष ध्यान देने का प्रयास करे। मुनिश्री श्रेयांस कुमार ने अपने गीत के साथ बालक बालिकाओं को प्रेरणा प्रदान की मुनिश्री श्रेयास कुमार ने अपनी एक कहानी के माध्यम से बच्चों को नैतिक और ईमानदारी का जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की।
कार्यक्रम आगाज बालकों ने सामुहिक संगान के अन्तर्गत पार्श्वनाथ स्तुति, संघगान एवं ज्ञानशाला गीत से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा के अध्यक्ष अमरचन्द सोनी ने की। ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका श्रीमती प्रेम बोथरा ने विचार व्यक्त किए। तीन दिनों के शिविर में अनेक प्रशिक्षिकाओं ने बालक-बालिकाओं को जैन ज्ञान का प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानशाला से देवेन्द्र डागा ने किया। विपिन बोथरा, चैतन्य रांका, संदीप रांका का विशेष सहयोग रहा। तेरापंथ सभा के मंत्री रतन छलाणी ने विचार रखें।