टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
बीकानेर, 18 फ़रवरी । सिर पर केशरिया खिडकिया पाग,ललाट पर पेवडी, बनियान व पीताम्बर धारण कर,हाथों में चांदी की छड़ी व गेडिय़ा लिए लाल लोंकार के नीचे विष्णुरूपी दुल्हें जब अपनी लक्ष्मी स्वरूप वधू से विवाह करने निकले,तो शहर की हर गली-मोहल्लों व चौक चौराहे तू मत डरपे हो लाड़ला,केशरिया हो लाडलड़ा तथा केशरियो लाड़ो जीवतौं रे के स्वरों से गंूज उठे। सड़कों के दोनों और खड़े शहरवासियों ने विष्णुरुपी दुल्हों व बारातियों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
चौक-चौराहों पर शंखनाद,झालर की झंकार,पारम्परिक गीतों के स्वरों से पूरा शहर उत्सवी माहौल से सराबोर हो गया। पुष्करणा सावे पर शुभ मुहुर्त होते ही हर गली- मोहल्ले से विष्णुरूपी दुल्हों के बारातों के साथ निकलने का क्रम शुरू हुआ जो देर रात्रि तक जारी रहा। दूल्हे विष्णुरुप के साथ घोड़ी,रथ,बैण्ड,डीजे के साथ भी विवाह करने के लिए पहुंचे। बड़ी संख्या में निकली बारातों के कारण पूरा शहर सावे के रंग में रंगा नजर आया। विष्णुरूपी दुल्हों को देखने के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी बारह गुवाड,मोहता चौक,साले की होली,सदाफते, तेलीवाडा,हर्षों का चौक,रत्ताणी व्यासों का चौक,चौथाणी ओझा चौक,कीकाणी व्यास चौक,आचार्य चौक,नत्थूसर गेट, गोकुल सर्किल सहित विभिन्न स्थानों पर मौजूद रहे। शहर में अनेक स्थानों पर विष्णुरूपी दुल्हों का सम्मान किया गया।
किया पारम्परिक रिवाजों का निर्वाह
सावे के दौरान पुष्करणा समाज की परम्पराओं के अनुसार शादी से पूर्व बड़बेला,आटी,जवांई को दूध पिलाने की रस्में हुई। खिरोड़े की रस्म के दौरान वधू पक्ष की महिलाएं मिट्टी से बड़बेले को लेकर वर पक्ष के यहां पहुंची। बड़बेले के वर पक्ष के मुख्य द्वार के पास पहुंचते ही वर बाहर आया व परम्परानुसार हाथों में लिए पूजन सुपारी, कोडियों को धीरे से बड़बेले में छोड दी। मान्यता है कि बड़बेले में सुपारी व कोडिया डालते समय किसी को भी आवाज सुनाई नहीं देनी चाहिए। बड़बेले के साथ वधू पक्ष की ओर से दिन में कई बार महिलाएं जिनमें वधू की अनोरी जो बड़ी बहिन, भुआ,मासी आदि होती है, थाली में आटी व मिट्टी से बने सकोरो में दूध लेकर वर के यहां पहुंची व वर को दूध पिलाने की रस्म का निर्वहन किया। आटी को नापते समय वर को पहनाने का भी प्रयास किया गया। बारात से पूर्व वर पक्ष की ओर से वधू पक्ष के यहां अमजर पूजा भी भेजी गई ।
शंखनाद व झालर की झंकार से गूंजा परकोटा
पुष्करणा सावे पर शहर में देर रात्रि तक विष्णुरूपी दुल्हों के साथ बारातों के निकलने का क्रम जारी रहा। इस दौरान विष्णुरूपी दुल्हे पैदल ही बिना घोड़ी, बैण्ड, रथ,डीजे,आतिशबाजी के सादगी पूर्ण तरीके से शंखनाद व झालर की झंकार के साथ पारम्परिक गीतों के गायन के साथ विवाह करने के लिए अपने-अपने ससुराल पहुंचे। इस दौरान पूरे शहर में तू मत डरपे हो लाडला गीत के स्वर गूंजते रहे। विष्णुरूपी दुल्हों के साथ कुछ बारातें बैण्ड, डीजे ,घोडी, रथ आदि के साथ भी निकली। मगर सावे के दौरान सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र विष्णुरूपी दुल्हे व उनकी बारातें ही रही।
दुल्हा पोखने के दौरान गूंजे तालोटा के स्वर
पुष्करणा सावे के दौरान दुल्हों के अपने ससुराल पहुंचने के समय गाये जाने वाले तालोटा गीतों से घर-घर गंूज उठे। दुल्हों को पोखने की रस्म के दौरान वधू पक्ष की महिलाओं ने तालोटा गीतों से दुल्हों का स्वागत कर बारातियों को लेकर उलाहने भी दिये तो रूखमणी स्वरूप वधू के समक्ष झुक कर वर माला पहनने के लिए भी कहा गया। तालोटा गीतों में श्हर आयो-हर आयो ,काशीजी रो वासी आयो, घोड़ी चढ गोविन्द आयो, राणी रूखमण रे मन भायो जयमाला ले हाथ म्हारी सीता रहि पहनाय झुकणो पडसी जी महिलाओं के सामूहिक रूप से गाए गए तालोटा गीतों को वर-वधू पक्ष के लोगों ने सुना व गाने वाली महिलाओं की हौंसला अफजाई की। सावे के दौरान वर-वधू के फेरों के दौरान पारम्परिक गीतों का गायन भी हुुआ। जिनमें चंवरी, फेरे, सेवरलों,विदाई आदि थे।
खिरोड़े में गोत्र वाचन
सावे के दौरान जिन वर-वधुओं की शादी हुई उससे पूर्व खिरोड़ा भरने की रस्म हुई। इसमें वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष के यहां खिरोड़ा भेजा गया। खिरोड़े में सुूखी खाद्य सामग्रियों के साथ स्टील के बर्तन, दूध, वस्त्र इत्यादि सामग्रियां भेजी गई। वधू पक्ष की मौजूदगी में वर पक्ष के घर के आ ंगण में पूजन व गोत्राचार का आयोजन हुआ। सार्वजनिक रूप से हुए गोत्राचार के दौरान वर-वधू पक्ष के पण्डितों ने गोत्राचार में बड़े बर्जुगों के नाम व गोत्र का वाचन किया। गोत्राचार के बाद कन्या दान का संकल्प लिया।
कही दूध राबडिय़ा तो कही कोल्ड ड्रिंक
शहर में अनेक स्थानों पर मोहल्ला समितियों द्वारा वहां से गुजरने वाली बारात में शामिल बारातियों का स्वागत दूध राबडिय़ा,कोल्ड ड्रिंक, चाय पिलाकर किया गया। शहर में अनेक स्थानों पर बारातियों के लिए चाय की निशुल्क व्यवस्थाएं की गई। वहीं पुष्करणा स्टेडियम के पास साफे बांधने की व्यवस्था रही तो तीन स्थानों पर पुष्करणा सावा समिति की ओर से टैक्सी व लोड बॉडी वाहन की व्यवस्था की गई।
मेहन्दी मोळी नख जावत्री तो केसर..
वर-वधू परिणय सूत्र में बंधे वर पक्ष की ओर से वधू पक्ष के बरी भरी गई। बरी ले जाने के दौरान वर पक्ष की महिलाओं द्वारा सामूहिक रुप से बरी के पारम्परिक गीत मेहन्दी मोळी नख जावत्री तो केसर का गायन किया गया। ढोल-नगाड़ो व डीजे के साथ निकली बरी के दौरान वर पक्ष के सदस्य हाथों में वधू के लिए सोने चांदी के आभूषण, वस्त्र, बरी बेस सहित विविध सामग्रियां लिए हुए थे।
मोबाइल में कैद किये एतिहासिक पल
सावे पर अनेक मोहल्लों में आई बारातों व सावे के माहौल को शहरवासियों व अन्य समाज के लोगों ने मोबाइल में कैद किया। कई लोगों ने पुष्करणा सावे को यू टयूब व सोशल मीडिया पर लाइव कर देश के कोने कोने बैठे लोगों को इस परम्परा से रूबरू करवाया। वहीं शहर की गलियों में छत्तों व चौकियों में बैठे लोग भी बारात के नजारों को बैठे देखे रहे थे।
व्यवस्थाएं रही चाक चौबंद
सावे के मद्देनजर पुलिस प्रशासन चाक चौबंद रहा। शहर के अनेक स्थानों पर नफरी लगाई गई। वहीं ट्रेफिक पुलिस ने भी जगह जगह व्यवस्थाओं में सहयोग किया। तो शहर के अनेक लोगों ने भी स्वयं ही ट्रेफिक व्यवस्थाएं कर वाहनों की रेलमपेल को सही करवाकर यातायात व्यवस्था में पुलिस की मदद की।