टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
बीकानेर 02 मार्च । राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय में लोक प्रशासन विभाग व प्लेसमेंट व कैरियर गाइडेंस सेल के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से लोक प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुरेंद्र कटारिया रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रो सुरेंद्र कटारिया का लोक प्रशासन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो अच्छन राठौड़, प्लेसमेंट व कैरियर गाइडेंस सेल से प्रो मंजू मीणा, म्यूजिक विभाग से प्रो असित गोस्वामी तथा लोक प्रशासन विभाग से आशुतोष सोनी ने माल्यार्पण कर व पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अमृता सिंह ने किया। प्रो कटारिया के व्याख्यान का विषय “लोक प्रशासन में नैतिकता” रहा। अपने उद्बोधन में प्रो कटारिया ने बताया कि मॉरलिटी व नैतिकता को सामान्यतया समानार्थी समझा जाता है, जबकि मॉरलिटी एक विचार, एक अवधारणा है। वहीं जिस विषय में हम इसे पढ़ते हैं, उसे नैतिक शास्त्र कहा जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता का सामाजिक रूप से शुरुआती विकास तब हुआ जब लोगों को एक दूसरे की सहायता की आवश्यकता महसूस होने लगी और जीवन के अलग-अलग पक्षों हेतु वे एक दूसरे का सहयोग करने लगे। उन्होंने बताया कि नैतिकता पहले समाज में आई उसके पश्चात हम उसे संस्थानों में लाने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसा संभव नहीं है कि हम नैतिकता को ऊपर से थोप सकें।
संस्थाओं के द्वारा नैतिकता कभी भी समाज पर थोपी नहीं जा सकती, यह पहले समाज में आती है जिसके बाद ही यह संस्थानों में आ सकती है। उन्होंने बताया कि मानवता, धर्म, आध्यात्म आदि जीवन के सभी पक्ष मूल रूप से मॉरलिटी से ही जुड़े हुए हैं। सरकारों को यह प्रयास करना चाहिए कि वह प्राचीन विद्या पद्धति के द्वारा ज्ञान के अर्जन को महत्व दें। केवल साक्षर होने को ज्ञान का समानार्थी नहीं माना जाना चाहिए। ज्ञान का विकास होने पर व्यक्ति स्वयं ही मूल्यों को महत्व देने लगता है और जब उसका जीवन मूल्य युक्त हो जाता है तभी इसकी परिणीति के रूप में हमें संस्थाओं और प्रशासन में नैतिकता देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि नैतिकता को प्रतिष्ठित करने करने का मुख्य दायित्व माता, पिता व गुरुजनों का है। जिन्हे शुरुआती जीवन से ही बच्चों में इसके विकास हेतु जागरूक रहना चाहिए।
अपने उद्बोधन के पश्चात् उन्होंने उपस्थित छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर दिया तथा लोक प्रशासन विषय में आगे किस प्रकार के करियर अवसर उपलब्ध हैं, इसकी जानकारी देते हुए उन अवसरों के लिए किस प्रकार तैयारी की जानी चाहिए इसकी जानकारी भी प्रदान की, साथ ही छात्राओं से उन्होंने कहा कि जीवन का लक्ष्य हमेशा उच्च स्तर का निर्धारित किया जाना चाहिए।
व्याख्यान के अंत में प्रो असित गोस्वामी ने प्रो सुरेंद्र कटारिया का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ मंजू मीणा, डॉ असित गोस्वामी, डॉ रवि शंकर व्यास, डॉ अमृता सिंह, डॉ सुनीता बिश्नोई तथा आशुतोष सोनी इत्यादि सहित महाविद्यालय की छात्राएं भी उपस्थित थी। अन्त में प्रो कटारिया द्वारा उपस्थित समस्त संकाय सदस्यों को स्वरचित “भारतीय लोक प्रशासन” (13वां संस्करण) की प्रति भेंट की।